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________________ समण दीक्षा : एक परिचय २३ २. अनेक समण/समणियों की योग्यता का अंकन और निर्माण। सम्पूर्ण व्यवस्था समणश्रेणी में नियोजिका-पद सर्वोच्च पद होता है। नियोजिका समणी पूरी श्रेणी के विकास और ह्रास की उत्तरदायी होती है। श्रेणी के परिप्रेक्ष्य में इनका कार्यक्षेत्र विस्तृत होता है। नियोजिका के मुख्य कार्य हैं • वस्त्र, पात्र, चिकित्सा, सेवा आदि की व्यवस्था करना। • सामूहिक कार्य का विभाजन करना। • चित्त-समाधि अथवा वर्गों का निर्धारण करना। . सामूहिक गोष्ठियों का संचालन करना। . आचार, अनुशासन, नियम, विधि-विधानों का पालन करवाना। • शैक्ष समणी की सार-संभाल की व्यवस्था करना। . अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था करना। • श्रेणी की सारणा-वारणा करना। नियोजिका समणी गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी तथा आचार्य श्री महाप्रज्ञ, महाश्रमणी साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी तथा महाश्रमण के निर्देशन में ये सारे कार्य संचालित करती है। जो समणी जब तक इस पद पर रहती है, अपने दायित्व का पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करती है। समणी नियोजिका अपने समणीवर्ग की मुखिया होती है और समण नियोजक समण वर्ग के। आज तक के कालक्रम में निम्नांकित समण/समणी नियोजक और नियोजिका पद को अलंकृत कर चुकी हैं/कर रही हैंसमणी नियोजिका स्मितप्रज्ञाजी (लाडनूं) मधुरप्रज्ञाजी (भीनासर) परमप्रज्ञा जी (बीदासर) मंगलप्रज्ञा जी (मोमासर) नियोजक स्थितप्रज्ञजी (बाव) मानवप्रज्ञजी (सरदारशहर) वर्ग व्यवस्था प्रायः चार-चार समणी का एक वर्ग होता है। इनमें एक को मुखिया बनाया जाता है, जिसे निर्देशिका कहते हैं। निर्देशिका का कार्यक्षेत्र सीमित समण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003166
Book TitleSaman Diksha Ek Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanmatishree Samni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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