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जैनधर्म की सर्वव्यापकता दिया जब यह राजा अपने राज्य की व्यवस्था न कर पाया तब इस ने उस राजा को बदल कर दूसरे राजाको सिंहासनारूढ़ किया।
___टायर के बलवे को भी इसने सख्ती के साथ कुचल डाला इस प्रकार नेबूचन्द्रनेझार पश्चिम एशिया का यशस्वी सम्राट बन गया।
बेबीलोन में इसने अनेक देवमन्दिरों का निर्माण कराया था। इसने नगर की रक्षा के लिए नगर को चारों तरफ से घेरती हुई भव्य ऊँची दीवाल का निर्माण कराया था। हीराडोटस के कथनानुसार इस नगर का घेराव ५६ मील का था तथा यह दीवाल इस नगर का चारों तरफ से लोहे की ढाल के समान संरक्षण करती थी। चीन की दीवाल पर आज सारा जगत विस्मित है। वह दीवाल भी नेबुचन्द्रनेझार की इस दीवाल के आधार पर ही बनाई गई है । इसने बेबीलोन में अपने लिए स्वर्गीय महलों का निर्माण भी कराया, बाद में इसने इन महलों की ममता वश इन्हे झूलते बागों (Hanging gardens) की उपमा भी दे डाली थी। इसने अपने निवास के लिए ईसा पूर्व ५६१ में एक भव्य महल का निर्माण कराया था जो अद्वितीय कहलाया। यह महल पन्द्रह दिनों में बनकर तैयार हुअा था किन्तु इसकी जाहोजलाली सदियों तक उतनी ही अनुपम कायम रही । ईसा पूर्व ३२६ में भारत से वापिस लौटते हुए यूनानी सिकन्दर इस महल पर अत्यन्त मुग्ध हो गया था और इसी महल में उसने अपना बसेरा रखा और कई दिनों तक रंगरलियां मनाईं। तथा इसी महल में उस की हत्या भी हुई। नेबुचन्द्रनेझार ने शिल्प, स्थापत्य, कला और संस्कार के एक साथ विकास में जो योगदान इस महल को बनाने में दिया है वह मात्र विश्व के प्राचीन इतिहास में ही नहीं परन्तु अर्वाचीन इतिहास में भी अद्वितीय है।
नेबुचन्द्रनेझार सारे मेसोपोटेमिया का सम्राट था, इस लिए स्वाभाविक है कि वह ऐर्य का भी स्वामी था। बेबीलोन के भूखनन से प्राप्त प्राचीन अवशेषों में बेबीलोन नाम नहीं पाया जाता। इसे देखते हए ऐसा प्रतीत होता है कि यह राज्य ऐद्य के प्राचीन नाम से प्रसिद्ध हुआ होगा, ऐसी संभावना है। यदि यह ठीक हो तो नेबु वन्द्र ने झार आर्द्रपति सिद्ध होता है । ऐसा मानने के और भी अनेक प्रमाण उपलब्ध हैं।
वह नेबूचन्द्रने झार भगवान महावीर तथा मगधपति श्रेणिक का समकालीन था। मगधपति श्रेणिक ने प्रार्द्र राज नेबुचन्द्रनेझार को भेंट भेजी और इसके पुत्र अभयकुमार ने नेबुचन्द्रनेझार के राजकुमार पार्द्र कुमार को अपनी तरफ से जिन प्रतिमा की भेंट भेजी जिसको देखने पर प्राकमार प्रतिबोध पा कर भारतवर्ष में आया ।
उस समय के विश्व के इतिहास का अवलोकन करने से ज्ञात होता है कि भारत के बाहर बेबीलोन राज्य के सिवाय दूसरा ऐसा एक भी साम्राज्य नहीं था कि जिसे मगधाधिपति भेंट भेजता।
प्रभास पाटण के ताम्रपत्र से यह प्रमाणित हुआ है कि नेबुचन्द्रनेझार ने गिरिनार पर भगवान नेमिनाथ के मंदिर का जिर्णोद्धार कराया और उसके निर्वाह के लिए अमुक रकम वार्षिक रूप में भेंट की। इससे यह संभव है कि जब इस का पुत्र प्रार्द्र कुमार भारत चला आया और उसकी सारसंभाल के लिए उसके पीछे पांच सौ सैनिक भी इसने भेजे । बाद में संभवतः जब वे सैनिक उसे छोड़कर भाग निकले तब नेबु चन्द्रने झार अपने पुत्र की खोज में सौराष्ट्र स्वयं आया हो तब सम्भवतः उसपर जैनधर्म का प्रभाव पड़ने से इसने जैनधर्म को अपना लिया हो।
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