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प्राचार्य विजयवल्लभ सूरि
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राष्ट्र के नाम सन्देश आपने आज से लगभग ४० वर्ष पूर्व मालेरकोटला (पंजाब) से राष्ट्र के नाम संदेश देते
हुए कहा था
"भारतवासी तभी समृद्ध और सुखी रह सकते है जबकि जैन, बौद्ध, हिन्दू, मुसलमान, सिख, इसाई, पारसी आदि सब एक हों । इस समय आवश्यकता इस बात की नहीं है कि सबका धर्म एक बना दिया जावे, किन्तु इस बात की है कि भिन्न-भिन्न धर्मों के अनुयायी और प्रेमी परस्पर आदर-भाव और सहिष्णुता रखें। हम सब धर्मों को एक सतह पर नहीं लाना चाहते बल्कि चाहते हैं कि विविधता में एकता हो। हम सब धर्मों के प्रति समभाव और समन्वय को अपनावें। सब धर्मों के प्रति समभाव आने पर ही विश्वशांति संभव है । हमें हरेक तरह का त्याग और बलिदान देकर भी देश में एकता को कायम रखना चाहिए । तब विश्व में भारत का महत्वपूर्ण स्थान रहेगा।
जन्म के समय न कोई हिन्दू चोटी के साथ पैदा होता है और न मुसलमान सन्नत के साथ । न सिक्ख पांच कक्कों (कंघा, केश, कच्छा, कड़ा, किरपान के साथ पैदा होता है । जन्म के समय न गुजराती भाषा का, न हिन्दी का, न उर्दू का और न पंजाबी का, न अंग्रेजी का, न तमिल भाषा का बालक को बोध होता है । जन्म के बाद बालक पर उसी समाज, प्रांत, देश, धर्म का रंग चढ़ जाता है जिसमें वह पैदा होता है । जिस परिवार में जिस भाषा का प्रचलन होता है वही सीख जाता है। जन्म के समय बालक पर जाति, संप्रदाय, वर्ण, भाषा प्रादि की कोई भी मोहर छाप लगी नहीं होती और न ही किसी प्रांत, देश, राष्ट्र के कोई विशेष लक्षण चिन्हित होते हैं। प्रतः स्पष्ट है कि बालक जन्म के समय प्रकृति के समान है।
हरेक प्राणी में समान प्रात्मा है, किसी भी देश, जाति, वर्ण आदि में पैदा होने वाले नरनारी मोक्ष के अधिकारी हैं। अतः हम सब को मिल-जुलकर स्नेह और शांतिपूर्वक रहना चाहिये ।
जब हम पड़ोसी के दुःख से दु:खी, सुख से सुखी होना सीखेंगे तभी हम खदा के सच्चे बन्दे और ईश्वर के सच्चे भक्त हो सकेंगे। इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम सब भाई-भाई हैं।.
जीवन की वाजी लगा दी देश के बटवारे के समय आप श्री अपने शिष्य परिवार तथा साध्वी संघ के साथ गजरांवाला (पंजाब) में चतुर्मास विराजमान थे। जब पाकिस्तान की घोषणा कर दी गई तब गजरावाला भी पाकिस्तान में शामिल रहा। उस समय जिस उपाश्रय में प्राप विराजमान थे, उस पर मुसलसानों ने निशाना बाँधकर आपके ऊपर बम फेंका जिसका विस्फोट नहीं हमा। बम फेंकने वाला अपने दूसरे साथी की गोली से सारा गया। जो नमायंदगान -- मुस्लिम जनता आपको रहनमाये मिल्लत मानते थे, उन्होंने इस घटना को आपके बुलन्द इखलाक का करिश्मा (चमत्कार) माना और घोषणा कर दी कि जब तक आप यहां रहें वे प्रापकी हिफ़ाजत (सुरक्षा) का वायदा करते है।
पाकिस्तान बनने से पहले निकटवर्ती समय में बम्बई, बीकानेर, अहमदाबाद, बड़ोदा आदि भिन्न-भिन्न नगरों के धनी-मानी गुरुभक्त आपकी सेवा में अनेक बार गुजरांवाला इसलिये पाये
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