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पंजाब में धर्म क्रान्ति
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१२-वि० सं० १९०३ (ई० स० १८४६) में गुजरांवाला और रामनगर के मार्ग में गुरु शिष्य ने मुंहपत्ति का डोरा तोड़ा पौर बोलते तथा व्याख्यान करते समय सदा हाथ में लेकर मुंह के आगे रखकर इसका उपयोग प्रारंभ किया।
१३-वि० सं० १९०८ (ई० स० १८५१) को पंजाब से गुजरात जाने के लिए विहार किया। जैनतीर्थों की यात्रा, शुद्ध जैनधर्मानुयायी, सद्गुरु की खोज, श्री वीतराग केवली भगवंतों द्वारा प्ररूपित प्रागमों में प्रतिपादित स्वलिंग मुनिवेष को धारण करके मोक्षमार्ग की पाराधना
और प्रभु महावीर आदि तीर्थंकरों द्वारा जैन मुनि के शुद्ध चरित्र को धारण करने के लिये प्रस्थान किया।
१४- वि० सं० १६०८ में रामनगर निवासी कृपाराम भावड़ा गद्दहिया गोत्रीय को दिल्ली में दीक्षा दी और नाम वृद्धिचन्द्र रखा।
१५-वि० सं० १६१२ (ई० स० १८५५) में आपने अहमदाबाद में तपागच्छीय गणि मणिविजय जी से अपने शिष्यों ऋषि मूलचन्दजी तथा ऋषि वृद्धिचन्द जी के साथ जैन श्वेतांबर भूर्तिपूजक धर्म की संवेगी दीक्षा ग्रहण की। आप श्री मणिविजय जी के शिष्य हुए, नाम बुद्धि विजय जी रखा गया तथा अन्य दोनों साधु आपके शिष्य हुए। नाम क्रमशः मुनि मुक्तिविजय जी तथा मुनि वृद्धिविजय जी रखा गया। शुद्ध चरित्र पालक की पहचान के लिए आप लोगों ने पीली चादर ग्रहण की।
१६-वि० सं० १९१६ (ई० स० १८६२) में पुनः पंजाब में आपका प्रवेश हुआ। इस समय आपके साथ अन्य दो शिष्य भी थे।
१७--वि० सं० १९२० से १६२६ तक आपने उपदेश द्वारा निर्माण कराये हुए पाठ जिनमंदिरों की पंजाब में प्रतिष्ठा की । रावलपिंडी, जम्मू से लेकर दिल्ली तक शुद्ध जैनधर्म का प्रचार तथा लुकामतियों के साथ चर्चाएं कीं।
१८ --वि० सं० १९२८ में पुनः गुजरात में पधारे। वि० सं० १९२६ में अहमदाबाद में मुखपत्ती विषयक चर्चा, संवेगी साधुनों, श्री पूज्यों और यतियों, लुकामतियों के शिथिलाचार के विरुद्ध जोरदार प्रान्दोलन की शुरुआत की।
१६-वि० सं० १६३२ (ई० स० १८७५) में अहमदाबाद में पंजाब से आये हुए ऋषि मात्माराम जी को उनके १५ शिष्यों-प्रशिष्यों के साथ स्थानकवासी अवस्था का त्याग करवाकर संवेगी दीक्षा प्रदान की। श्री प्रात्माराम जी को अपना शिष्य बनाया । नाम प्रानन्दविजय रखा। शेष १५ साधु प्रों को उन्हीं के शिष्यों-प्रशिष्यों के रूप में स्थापन किया। आनन्दविजय जी पालीताना में वि० सं० १९४३ में प्राचार्य बने, नाम विजयानन्द सूरि हुमा ।
उपर्युक्त १६ मुनियों के नाम संवेगी दीक्षा में इस प्रकार रखे गयेलुकामती नाम
सवेगी नाम
गुरु का नाम १. श्री प्रात्माराम जी
श्री आनन्दविजय जी श्री बुद्धिविजय जो २. , विश्नचन्द जी
,, लक्ष्मीविजय जी
,, प्रानन्दविजय जी ३ , चम्पालाल जी
, कुमुदविजय जी ,, लक्ष्मीविजय जी ४. , हुकुमचन्द जी
, रंगविजय जी
,, प्रानन्दविजय जी
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