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मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म
(३)इस मंदिर की उत्तर दिशा में कुछ दूरी पर जंगल में श्री ऋषभदेव के पारणे का प्राचीन स्तूप है जो श्वेतांबर जैन निशियां जी के नाम से प्रसिद्ध है । पारणे के मूलस्थान पर इस प्राचीन स्तूप व निशियाँ जी के जीर्णोद्धार का कार्य चालू हैं। दिल्ली के दानवीर सेठ मणिलाल डोसी जी ने इस कार्य में एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रुपये दिए हैं। योजना पांच छः लाख की है। इसमें श्री शांतिनाथ, श्री कुयुनाथ, श्री परनाथ तथा श्री मल्लिनाथ के चरण बिम्बों वाली चार छत्रियां भी हैं।
(४) श्री शांतिनाथ के इस मंदिर को घेरे हुए तीन श्वेतांबर जैनधर्मशालाएं हैं।
(५) इन धर्मशालानों के पीछे बहुत बड़ी भोजनशाला है । जिसमें एक साथ ५०० व्यक्ति भोजन कर सकते हैं।
इन सबकी व्यवस्था श्री हस्तिनापुर जैन श्वेतांबर तीर्थ समिति करती है।
(६) इस बड़े मंदिर की दक्षिण दिशा में जैनश्वेतांबर बालाश्रम है उनमें विद्यर्थियों के लिये बोडिग तथा भोजनशाला है ।
(७) इस बिल्डिंग के बीचोबीच श्री शांतिनाथ के समवसरण का मंदिर है।
(८) बालाश्रम की बिल्डिंग के सामने श्री प्रात्मानन्द जैन हायरसेकेण्ड्री स्कूल की बिल्डिंग है।
(e) इस बिल्डिंग की दक्षिण दिशा में एक कमरे में श्री ऋषभदेव तथा श्रेयांसकुमार के वर्षीतप का पारणा करने कराने वाली खड़ी प्रतिमाएं विराजमान हैं।
(१०) स्कूल बिल्डिंग के सामने दक्षिण उत्तर दिशाओं में एक-एक छत्री में अलग-अलग विजयानन्द सूरि और विजयवल्लभ सूरि के खड़े स्टेच्यु हैं ।
(११) बालाश्रम की उत्तर दिशा में दादा जिनदत्त सूरि, जिनकुशल सरि और जिनचन्द्र सूरि के चरण बिम्बों वाला गुरुमंदिर है । यह मंदिर एक वाटिका के बीच में है।
(१२) स्कूल बिल्डिंग में फ्री हस्पिताल भी है।
नं०६ से १२ तक की सब संस्थानों का निर्माण प्राचार्य श्री विजयवल्लभ सूरि के शिष्य विजयललित सूरि के प्रशिष्य प्राचार्य श्री विजयप्रकाशचन्द्र सूरि के पुरुषार्थ, प्रयास, तथा उपदेश से हुआ है। इन सब संस्थानों की व्यवस्णा-श्री जैन श्वेतांबर महासभा उत्तर प्रदेश करती है।
दिगम्बर जैन संस्थाएँ (१) दिगम्बर जैन 'शांतिनाथ का बड़ा मंदिर। यह मंदिर श्वेतांबर जैन तिनाथजी के मंदिर के सामने है और एक ऊँचे टीले पर निर्मित है ।
(२) यहाँ जंगल में दिगम्बर जैन चार निशियाँ जी हैं।
(३) निशियांजी का मार्ग शुरू होते ही पूर्व दिशा में एक विशाल जम्बूद्वीप के दिगम्बर जैन मंदिर का निर्माण हो रहा है । बीच में मेरुपर्वत बनाया गया है।
(४) बड़े दिगम्वर मंदिर की बग़ल में दिगम्बर जैन गुरुकुल तथा छात्रालय है । (५) दिगम्बर जैनों की चार-पांच विशाल धर्मशालायें हैं।
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