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________________ जैन मंदिर और संस्थाएं (६) एक दिगम्बर जैन औषधालय भी है। (७) एक त्यागी पाश्रम तथा विधवाश्रम भी है। इन सब संस्थानों का प्रबन्ध दिगम्बर जैनतीर्थ कमेटी हस्तिनापुर करती है। इन जैन मंदिरों के विवरण से हम जान पाये हैं कि यहाँ जो पंजाब में जैन मंदिरों की सूची दी गई है । वे सब विक्रम की १६वीं शताब्दी से लेकर २१वीं शताब्दी तक के हैं। १९वीं शताब्दी से पहले का निर्मित आज एक भी जैन मंदिर विद्यमान नहीं है। हम पहले लिख पाये हैं कि सारे पंजाब-सिंध जनपद में श्री ऋषभदेव से लेकर शाहजहाँ के समय तक सर्वत्र जैन श्वेतांबर विद्यमान थे। विक्रम की १८वीं शताब्दी का ऐसा समय पाया कि इस सारे क्षेत्र में इन मंदिरों का सफाया हो गया। कारण यह कि इस काल में कट्टर मुसलमान औरंगजेब का शासन, ढ्ढक मत का जैन मदिर-मूर्तियों के विरुद्ध प्रचार था। भारत का इतिहास इस बात का साक्षी है कि इस काल में जैन और हिन्दू संस्कृतियों का आमूलचूल विनाश करने के लिये मुसलमानों की तरफ़ से सर्वव्यापक जिहाद किया गया था। ४२. दिल्ली की कुतुबमीनार यद्यपि हमने इस इतिहास पुस्तक में दिल्ली में जैनधर्म के इतिहास का समावेश नहीं किया है इसके जैन इतिहास पर तो अलग पुस्तक लिखी जानी चाहिये । तथापि दिल्ली में बने कुतुबमीनार के विषय में पंजाब से निकलने वाले अंग्रेजी दैनिक ट्रिब्यून में जो लेख छपा है उसका हिन्दी अनुवाद यहाँ देते हैं जिससे पाठक जान पायेंगे कि मुसलमान बादशाहों ने जैन और हिन्दू मंदिरों को तोड़-फोड़कर इसका निर्माण किया है। बारहवीं शताब्दी में निर्मित, दिल्ली के कुतुबमीनार के निचले भागों में जैनतीर्थंकरों व हिन्दू अवतारों की मूर्तियों का पुरातत्त्ववेत्ताओं ने पता लगाया है। इस खोज से वे सब धारणाएँ निर्मूल व ग़लत सिद्ध हो गई हैं जो यह कहा करती थीं कि यह मीनार दिल्ली के अंतिम सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने अपनी बेटी के यमुना-दर्शन के लिए बनवाया था। आकिमालोजिकल सर्वे आफ इण्डिया द्वारा इस ऐतिहासिक स्मारक की मुरम्मत करते हुए उन्हें अचानक ही जैनतीर्थंकरों की बीस तथा भगवान विष्णु की एक ऐसी कुल २१ प्रतिमाएँ उपलब्ध हुई हैं। सात शताब्दियों के पश्चात् भी इन प्रतिमाओं का वास्तविक रूप व वैभव अभी तक विद्यमान है। कुतुबमीनार के पास ही बनने वाले एक संग्रहालय में इन्हें रखा जाएगा। अब यह धारणा बिल्कुल पक्की हो गई है कि चाहे कुतुब को बनाने में हिन्दू शिल्पी ही लगे होंगे, पर इसकी बनावट व ढंग मूलतः इस्लामी हैं। कुतुब को बनवाने वाले दिल्ली के पहले सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक के शहर ग़ज़नी में कुतुब मीनार के दो नमूने, टूटी-फूटी अवस्था में अभी तक सुरक्षित हैं। यह तथ्य भी ठीक ही है कि पृथ्वीराज की हार के बाद ही इस मीनार की नींव सुल्तान द्वारा रखी गई । सुल्तान के उत्तराधिकारी अल्तमश ने इसे सन् १२३० में पूरा किया था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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