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________________ जैन मंदिर और उपाश्रय ३६३ निरंजनदास ओसवाल भावड़ा ने कराकर श्रीसंघ को समर्पण किया है । मंडी के मंदिर व उपाश्रय केलिये भूमि प्रसिद्ध उद्योगपति गुज्जरमल मोदी से भेंट मिली है। (४) नगर के दक्षिण में खरतरगच्छीय श्री जिनचन्द्र सूरि की दादाबाड़ी है। बागीचा, बिजली, ट्यूबवेल आदि की सुन्दर व्यवस्था है। मन्दिरमार्गी व स्थानकवासी सभी दादावाड़ी को मानते हैं। (५) श्वेतांबर जैनों के शहर में दो उपाश्रय हैं-एक पुरुषों का एक स्त्रियों का । शहर व मंडी में एक-एक जैन स्थानक भी,है । (६) शहर के मन्दिर में श्री विजयानन्द सूरि व विजयवल्लभ सूरि जी की दो सुन्दर प्रतिमाएँ भी हैं । श्री प्रकाशविजय जी के उपदेश से विजयवल्लभ सूरि जी की प्रतिमा सामाना के ही लाला दौलतराम व उनकी पत्नी पन्नीबाई जैन ने बनवाई थी। (७) शहर के मन्दिर जी के लिए जमीन लाला कुशलचंद जैन व रिखी राम जैन से भेंट में मिली थी। (८) शहर के मन्दिर की ऊपरी मंजिल में श्री आदिनाथ भगवान की ८५० वर्ष पुरानी सुन्दर व चमत्कारी प्रतिमा है। दूसरी भ० पार्श्वनाथ की प्रतिमा लाला रोशनलाल भावड़ा द्वारा बनवाई गई व प्राचार्य विजयवल्लभ सूरि द्वारा अंजनशलाका कराई गई है ।1 २६-होशियारपुर (१) श्वेतांबर जैन मंदिर ३०० वर्ष लगभग पुराना। मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु हैं। यह पूजों के मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस से ज्ञात होता है कि इसका निर्माण किसी यति ने कराया होगा। (२) श्वेतांबर जैनमंदिर बड़ा दो मंजिला है । मूलनायक श्री वासुपूज्य प्रभु हैं। इसका सारा शिखर स्वर्णपत्रों से मंडित है। इसलिये यह स्वर्णमंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं । इस मंदिर का निर्माण प्राचार्य श्री विजयानन्द सूरि के उपदेश से प्रोसवाल-भावड़ा नाहर गोत्रीय श्रेष्ठिवर्य लाला गुज्जरमल जी ने निजी द्रव्य से कराया था। वि० सं० १९४८ में इसकी प्रतिष्ठा प्राचार्य श्री विजयानन्द सूरि ने की थी। यह मंदिर बाजार भाबड़यां में है जो आजकल शीशमहल बाज़ार के नाम से प्रसिद्ध है। (३) एक उपाश्रय बड़ा विशाल है जो स्वर्णमंदिर की बग़ल में बना है। इसका निर्माण आज से लगभग ५० वर्ष पहले हुआ था। (४) स्त्रियों केलिए एक उपाश्रय मुहल्ला गढ़ी के सिरे पर है। इसका निर्माण लाला पूरणचन्द टेकचन्द प्रोसवाल जैन ने कराया है। (५) नगर की कुछ दूरी पर श्री प्रात्मानन्द जैनभवन-गुरु मंदिर है । इसको चारों तरफ़ से दीवाल से घेरा हुआ है और चारों दिशाओं में एक-एक प्रवेशद्वार हैं। इसमें जैन मंदिर, श्री विजयानन्द सूरि के चरणबिम्ब तथा विशाल वाटिका है । इसकी प्रतिष्ठा प्राचार्य श्री विजयवल्लभ सूरि ने की थी। (६) शीशमहल-वास्तव में यह एक श्वेतांबर जैन उपाश्रय था। जो स्वर्ण मंदिर के बहुत ही समीप है। लाला हंसराज प्रोसवाल-भाबड़ा नाहर गोत्रीय ने इसका जीर्णोद्धार करने के लिये ___ 1. सामाना नगर का विशेष विवरण “सामाना नगर" परिचय, पूर्व पृष्ठों, में देखें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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