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________________ ३६२ मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म उत्तरार्ध लौंकागच्छ के यतियों ने कराया था। इसकी प्रतिष्ठा तपागच्छीय प्राचार्य श्री विजय वल्लभ सुरि जी के शिष्य श्री विजय विद्या सूरि ने करवाई थी। (२) जैन श्वेतांबर उपाश्रय भी है। २४-शाहकोट जिला जालंधर (१) श्वेतांबर जैन मंदिर इसके मूलनायक श्री ऋषभदेव प्रभु हैं। इस मंदिर की प्रतिष्ठा वि० स० २०१६ में मुनि प्रकाशविजय ने कराई थी। २५-शांकर जिला जालंधर (१) श्वेतांबर जैन चैत्यालय है । मूलनायक श्री शांतिनाथ प्रभु हैं। तपागच्छीय मुनि श्री अमीविजय जी के उपदेश से इसका निर्माण हुआ । वि० सं० १९७० में इन्हीं के द्वारा इसकी प्रतिष्ठा हुई । इस मंदिर का निर्माण लाला वृजलाल मेघराज प्रोसवाल-भाबड़ा ने कराया था। २६-सुनाम जिला संगरूर (१) श्वेतांबर जैनमंदिर है, मूलनायक श्री सुमतिनाथ प्रभु हैं । वि० सं० १९८३ में निर्माण हया था। वि० सं० १९८५ में प्राचार्य श्री विजयविद्या सूरि ने इसकी प्रतिष्ठा कराई थी। (२) नगर के बाहर लगभग एक मील की दूरी पर उजाड़ स्थान में हिन्दू सन्यासियों का एक डेरा बना हुआ हैं। इसमें एक अत्यन्त प्राचीन जैनतीर्थकर प्रतिमा है जिसकी ऊँचाई २१ इंच की है और पद्मासनासीन है । वह उन्हीं के कब्जे में हैं। (३) श्वेताम्बर जैन उपाश्रय है। (४) स्थानकवासियों का स्थानक भी है। २७-साढौरा जिला अम्बाला (१) श्वेतांबर जैनमंदिर है। इस मंदिर का शिलान्यास वि० सं० १९८६ (ई० स० १९२६ ता० ११ दिसम्बर) को यहाँ के लाला पन्नालाल मुन्हानी गोत्रीय प्रोसवाल-भाबड़ा ने किया था। इसकी प्रतिष्टा तपागच्छीय मुनि श्री स्वामी सुमति विजय जी, प्राचार्य विजयविद्या सूरि तथा मुनि विचारविजय जी ने की थी। (२) श्वेतांबर जैनउपाश्रय है । (३) स्थानकवासियों का स्थानक है। (४) दिगम्बर जैनमंदिर है। २८-सामाना (जिला पटियाला) (१) शहर के श्वेतांबर जैनमन्दिर में मूलनायक श्री शान्तिनाथ प्रभु । वि० सं० १९७९ में प्राचार्य विजयवल्लभ सूरि द्वारा प्रतिष्ठा। मूलनायक भगवान की प्रतिमा पालीताना से माई थी। मूलनायक भगवान की प्रतिष्ठा की बोली लाला सदाराम सागरचन्द नाजरचन्द परिवार की होने से प्रतिवर्ष इस परिवार द्वारा माघ सुदि एकादशी को मंदिर पर ध्वजा चढ़ाई जाती है । (२) मंडी में श्री कुथनाथ जी का जैन श्वेतांबर मन्दिर है। प्राचार्य कैलाससागर सरि के उपदेश से अहमदाबाद के श्री रजनीकांत झवेरचन्द वर्धमानी व उनकी पत्नी मीनाक्षी बहन ने मूलनायक प्रतिमा श्रीसंघ को भेजी। (३) मंडीवाले मंदिर के साथ जैनश्वेतांबर उपाश्रय का निर्माण लाला मुकंदीलाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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