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________________ ३१६ मध्य एशिया और पंजाब में जनधर्म जहांगीर बादशाह का फरमान फरमान नं. ४ का अनुवाद अल्लाहु अकबर अब्बुलमुजफ्फर सुलतानशाह सलीम (जहांगीर) गाजी का दुनिया का मान्य फरमान असल मुजब नकल जो महान् कार्य करने की आज्ञा करनेवालों को, उन्हें व्यवहार में लाने के प्रेरकों को, कारकुनों को, वर्तमान तथा भविष्य के मामलादारों को ..और विशेष करके सौराष्ट्र सरकार को बादशाही सम्मान रखते हुए मालूम हो कि भानुचन्द्र यति और खुशफहम पदवीधर सिद्धिचन्द्र यति ने हमें अरज़ की है कि-जजिया कर, गाय, भैंस, भैसा, बैल, इन पशुप्रों की हिंसा, प्रत्येक महीने के निश्चित दिनों में, मृत्यु का धन, लोगों को बन्दी बनाना, तथा शत्रुजय पर्वत पर यात्री दीठ सोरठ सरकार जो कर लेती है इस (उपर्युक्त) सब बातों के लिये प्राला हजरत (अकबर बादशाह) ने बन्द किया हुआ है और माफ किया हुआ है। अतः इन सभी लोगों (भानुचन्द्र आदि) पर हमारी भी सम्पूर्ण मेहरबानी है। उन (पहलेवाली बातों) में एक और महीना कि जिसके अन्त में हमारा जन्म हुआ है मिलाकर नीचे दी गई सूची के अनुसार माफ और बन्द करके हमारी श्रेष्ठ प्राज्ञानुसार (सबलोग) प्राचरण करें तथा इसके विरुद्ध अथवा हेर-फेर वाला प्राचरण न करें। विजयसेन सूरि तथा विजयदेव सूरि जो वहाँ (गुजरात) में हैं उनका वर्तमान में पता करके एवं जब भानुचन्द्र और सिद्धिचन्द्र वहाँ पहुँच जावे तब उनकी भी सार-संभाल रखी जावे और जो वे काम करने को कहें उन्हें सम्पूर्ण किया जावे। जिससे वे (विजयसेन सूरि, भानुचन्द्र पादि) जीत करने वाले राज्य को सदा मन को सुखी (निराबाध) रखकर अपने (धर्म) कार्यों में लगे रहें। ऊना परगने में इनके गुरु के पगले (चरणबिंब) स्थापित किये हैं। पुराने रिवाज के अनुसार कर प्रादि से मुक्त जानकर तत्संबन्धी को रुकावट या परेशान नहीं करना । लेख (लिखा) ता० १४ शहेरीवर महीना, सन् इलाही ५५ । जीव हिंसा निषेध के दिनों की सूची। फरवरदीन का महीना, १२ सूर्य संक्रांतियाँ, ईद का दिन, मेहर के दिन, प्रत्येक मास के सब रविवार, सूफियों के दो दिनों के बीच का दिन, रजब महीने के सोमवार, अकबर बादशाह का जन्म का महीना--जो अबान महीना कहलाता है, सौर्य मास का पहला दिन जो ओरभज कहलाता है। बारह बरकतवाले (पयूषण महापर्व के) दिन भादों वदि १० से भादों सुदि ६ तक (गुजराती सावण वदि १० से भादों सुदि ६ तक)। अल्लाहु अकबर नकल असल मूजब है छाप मोहर इस मोहर के अक्षर नहीं पढ़े जाते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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