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मध्य एशिया और पंजाब में जनधम सोमालिया, धारा, कुलहणा, धूपड़, बहुरा, जाईल, नाणा बरड़, मुन्हानी, पारख, अनविधपारख, नक्षत्र ( नखत) मालकस, गद्दहिया चोरडिया, तिरपेंखिया, पटणी, बम्ब, कोचर, बरहूड़िया, नाहर, सुराणा, वैद, सिंघवी, सिंघी, डोसी, मोहिवाल, चोपड़ा, बोथरा, जख, गोठी, राँका, चौधरी, पैचा, बेगानी, वुचस (बुच्चा), नौलखा, छाजेड़, गोसल, लीगा, भनसाली, वागचर, सेठिया, वेवल, नागड़, गोदिका, जदिया, वच्छा त, कनोड़ा, ननगानी, पंडरीवाल, बोहरा, श्रीमाल, बांठिया, श्रीश्रीमाल, पठाण, डुक, 1 इत्यादि (प्रोसवालों के जितने गोत्रों की जानकारी मिल पाई हैं, उन्हें यहाँ लिख दिया है और भी अनेक गोत्रों वाले परिवार इस जनपद में आबाद होंगे। प्रोसवालों के कुल गोत्र १४४४ कहे जाते है। (२) खंडेलवालों के गोत्र
भौंसा, सेठी, गंगवाल, भंगड़िया, छाबड़ा, गोधा आदि इस समय पंजाब में ये गौत्र खंडेलवालों के विद्यमान है । खंडेलवालों के कुल गोत्र ८४ हैं । (३) अग्रवालों के गोत्र
मित्तल, गर्ग, सिंघल, प्रादि १७।। गोत्र अग्रवालों के हैं जो सारे पंजाब में फैले हुए हैं । इन में श्वेतांबर, दिगम्बर, स्थानकवासी, तेरापंथी (श्वे० सम्प्रदाय) तथा आर्यसमाजी, सनातनी आदि सब धर्मों को मानने वाले हैं । पंजाब में इन को बनिया अथवा बानिया कहते हैं ।
(नोट) ओसवाल और खंडेलवाल जैनों को पंजाब में भावड़ा कहते हैं। ये श्वेतांबरस्थानकवासी (दोनों जैन संप्रदायों को मानने वाले हैं)।
(४) श्रीमाल जाति के अनेक गोत्रों के श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन परिवार पंजाब के अनेक नगरों में प्राबाद हैं।
११. पंजाब में प्राप्त पुरातत्त्व सामग्री
१. पंजोर श्वेतांबर जैन महातीर्थ पंजोर चंडीगढ़ के समीप है । प्राचीन जैनसाहित्य से और इसके सारे क्षेत्र से प्राप्त खंडित जिनप्रतिमानों से ज्ञात होता है कि विक्रम की सत्रहवीं शताब्दी तक यह एक प्रसिद्ध श्वेताँबर जैनतीर्थ रहा है सिरसा के बड़गच्छ के यति कवि माल विक्रम की १७वीं शताब्दी में हो गये हैं उन्होंने एक रचना लो विक्रम संवत् १६६८ में की थी, उस में पंचउर नामक नगर का तथा जैन मंदिरों और इस तीर्थ का वर्णन किया है। यह रचना भी इसी नगर में शुरु करके सामाना में पूर्ण की थी। उस से पता चलता है कि सम्राट अकबर के समय तक यह नगर पाबाद था। जैनों की यहाँ बहुत वस्ती थी और यहाँ अनेक श्वेतांबर जैन मंदिर भी थे। आज तो न यह नगर है, न जैनों की आबादी है और न जैन मंदिर ही हैं। उसके स्थान पर एक मुगलगार्डन (बाग़) तथा छोटा सा गाँव है। यहाँ से कतिपय खंडित जैनमूर्तियां मिली हैं जो हरियाणा सरकार ने कुरुक्षेत्र के विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के कक्ष में संग्रह कर दी हैं। अभी भी इस सारे क्षेत्र में अनेक जैन-प्रतिमाए आदि पुरातत्त्व सामग्री बिखरी पड़ी है । ऐसे समाचार मिलते रहते है । जो जैन प्रतिमाएं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में यहाँ से ले जाकर रखी गई हैं उन पर विक्रम की हवीं, १० शताब्दी के लेख खुदे हुए हैं, परन्तु खेद का विषय है कि इन लेखों को पढ़ने का आज तक पुरातत्त्व विभाग ने साहस नहीं किया।
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