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पंजाब में प्राप्त जैन पुरातत्त्व सामग्री
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यहाँ पर एक मनसादेवी का मंदिर बड़ा प्रसिद्ध है। बह मूलत: जैननंदिर था। इस मंदिर में विद्यमान मूलनायक की प्रतिमा जैनमूति होना संभव है। जैन देवियों मानसीमहामानसी का नाम बिगड़कर मनसादेवी के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया है। इस समय यह मंदिर हिन्दुनों के अधिकार में है । बड़ी-बड़ी दूर से यात्री लोग इसके दर्शन करने पाते रहते हैं।
२. रोहतक से जैनप्रतिमाएं प्राप्त चंडीगढ़ से निकलने वाले अंग्रेजी दैनिकपत्र Tribune (ट्रिब्युन) के समाचारों से ज्ञात हुआ है कि रोहतक के समीप भूमि की खुदाई से जैनश्वेतांबर मूर्तियां, जैनमंदिर के खंडहर मिले हैं । वहाँ प्रस्थल-बोहर नाम के गांव की खुदाई से भी जै० श्वे. मूर्तियाँ मिली हैं।
३. कैथल कैथल से पांच मील दूर सियोन नामक ग्राम है । इसे सीढेरी, सियावन भी कहते हैं । इसका नाम सिद्धेश्वरी था। सिद्धेश्वरी से बिगड़कर सीढेरी अपभ्रंश हो गया है। यहाँ पर तालाब के किनारे पर एक मठ हैं। इसमें एक शिलालेख था। इस लेख के अन्त में सिद्ध-सिद्धि पढ़ा जाता था। अतः यह जैन शिलालेख होना चाहिये ।
४. थानेश्वर यहाँ एक शिवमंदिर हैं, जो प्राचीन जैन श्वेतांबर मंदिर था ।
५, जींद ___ यहाँ भूमि की खुदाई से श्री ऋषभदेव की पाषाण प्रतिमा प्राप्त हुई है । उस पर विक्रम की १० वीं शताब्दी का लेख है । अाजकल यह प्रतिमा चंडीगढ़ के पुरात्तत्व विभाग में रखी है।
६. मंडी डबवाली यहाँ पर एक श्वेतांबर जैन मंदिर था । ई० सं० १९६३ (वि० स० २०२०) तक इस मंदिर से प्रतिमाएं उठाई जा चुकी थीं और मंदिर बिक चुका था। इस मंदिर की जगह पर अपना मकान बनाकर क्षत्रीय भंडारी गोत्रीय एक परिवार रहने लगा है।
७. हिसार यहां फ़िरोजशाह तुग़लक के समय का एक प्राचीन जैन मंदिर का खण्डहर था; जहां पुल और नहर की कोठी बनी है। यह स्थान नहर के सरकारी कागजात में जैन मंदिर लिखा है। ईस्वी सन् १९०४ के हिसार गज़िटियर में भी छपा था कि यह खण्डहर जैन मंदिर था। इन प्रमाणों की जानकारी के पश्चात् यहाँ के धर्मप्रेमी लाला महावीरप्रसाद जैन एडवोकेट तथा लाला बनवारीलाल जैन बजाज ने सरकार को लिखा और गवर्नमेंट अाफ़ इंडिया ने सरकारी गजट के Part II section III Subsection II Dated 5 June 1963 A.D. द्वारा इस स्थान को सरकारी कब्ज़ा से मुक्त कर दिया । ई० स० १९६२ में इस स्थान की खुदाई कराई गयी तो पार्श्वनाथ, अनन्तनाथ तथा पांचतीर्थंकरोंवाली पंचतीर्थी-- ये तीन बड़ी पाषाण प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं जो इस समय हिसार के दिगम्बर जैनमंदिर में रखी हुई हैं।
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