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________________ २५० मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म तसकी हाफिज़ाबादी संपादक साधु, ८. बांकेदयाल संपादक ऊर्दू भंग इत्यादि अनेक पत्रकारों को जन्म देने का गौरव इसी नगर गुजरांवला को ही है । सरकारी उच्चाधिकारी १. जम्मू व काश्मीर के महाराजा रणवीरसिंह के महामंत्री ( Chief Dewan) लाला ज्वाला सहाय जी नन्दा थे २. उनके सुपुत्र दीवान कृपाराम नन्दा ने बद्दोकी गोसाइयाँ जिला गुजराँवाला में टोमड़ी साहब ( पवित्र धर्मस्थान) की नींव भी रखी थी और निर्माण भी कराया था । इस पिता पुत्र का जन्म इमनाबाद गांव जिला गुजरांवाला में हुआ था । ३. जम्मू काश्मीर के महाराजा सर प्रतापसिंह के तोशकखाना के इंचार्ज लाला हरभगवानदासजी बीसा ओसवाल ( भावड़ा) दूगड़ गोत्रीय जैन गुजरांवाला नगर के ही थे । ४. इनके पुत्र लाला अनन्तरामजी एडवोकेट, जो श्री आत्मानन्द जैन गुरुकुल पंजाब के मंत्री, पश्चात् इसी गुरुकुल की अधिष्ठाता ( Governor ) भी रहे, गुजराँवला निवासी थे । मल्लों (पहलवानों) का केन्द्र प्रायः देखा जाता है कि जिस धरती पर विचक्षण बुद्धि के धनी होते हैं वहां के सर्व साधारण लोग प्रायः कमज़ोर होते हैं । पर यह बात गुजरांवाला पर लागू नहीं होती है । विलक्षण विद्वानों, विचक्षण व्यापारियों के जन्म लेने वालों के साथ-साथ बड़े-बड़े पहलवानों का भी यहाँ जन्म हुआ हैं । १. महाराजा रणजीतसिंह का शाही पहलवान 'पंजाबसिंह खंभ' जो दो भैंसों को लड़ते हुए उनको सींगों से पकड़ कर अलग कर देता था । २. रहीम पहलवान भारत केसरी (रुस्तमे हिन्द) प्रादि अनेक महामल्लों (पहलवानों) को इस नगर की धरती ने जन्म दिया है । व्यापार व्यवसाय का केन्द्र के १. चावल, गेहूं, चना आदि अनेक प्रकार के अनाजों के व्यापार का यह नगर बहुत बड़ा केन्द्र था । २. लोहे की तिजोरियों (प्रलमारियों) फर्निचर निर्माण के बड़े बड़े कारखाने थे । ३. पीतल, तांबा, कांसी, एल्युमोनियम आदि धातुओं को निर्माण करने बड़े-बड़े कलकारखाने थे । ठठिया ( बरतन निर्माता कारीगरों) द्वारा हाथ की कारीगरी से बरतन निर्माण होकर देश विदेश में भेजे जाते थे । ४ वाटरपम्प फिटिंग तथा सेनीटरी के सामान बनाने के भी यहाँ बड़बड़े कारखाने थे । कपड़े की बहुत बड़ी मंडी थी । किराना, बसाती इत्यादि सब प्रकार के व्यवसायों का यहाँ व्यापार होता था । समृद्ध और सदाचारी जीवन यहाँ के निवासी सामाजिक, धार्मिक तथा व्यावसायिक दृष्टि से सम्पन्न, सदाचारी और मिलनसार थे । इनका अतिथि सत्कार आदर्श था । जैनमंदिर तथा संस्थाएं गुजरांवाला में जैनों के मंदिरों तथा संस्थानों का परिचय श्रागे देंगे । ७. सिरहंद यहां एक चक्रेश्वरीदेवी का जैनमंदिर है । चक्रेश्वरीदेवी जैनों के प्रथम तीर्थंकर श्रर्हत् ऋषभदेव तथा नत्रपदात्मक सिद्धचक्र की शासनदेवी है और शत्रु जय सिद्धक्ष ेत्र - जैन तीर्थं की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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