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________________ १६६ मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म (१) गोपीचलपुर में शांतिनाप का मंदिर तथा श्री नेमिनाथ का मंदिर । (२) कांगड़ा किले में सुशर्मचन्द्र राजा द्वारा निर्मित बुगादिदेव श्री ऋषभदेव का मंदिर । (३) कांगड़ा में राजा का देवागार मंदिर जिस में मणियों, रत्नों, स्फटिक आदि की चौबीस तीर्ष करों की तथा सीमंदर स्वामी की स्फटिक की प्रतिमाएं थी। (४) कांगड़ा किला में-रायविहार-सोवनवसही मंदिर में श्री महावीर प्रभु की सोने की प्रतिमा वाला मंदिर जो राजा रूपचन्द्र ने बनाया था। (५) पेथड़वसही-कांगड़ा शहर में श्री प्रादिनाथ जैनमंदिर तथा चक्रेश्वरीदेवी मदिर । (६) श्रावक कक्क द्वारा निर्मित जैन मंदिर जिसका वि० सं० ६१८ में जीर्णोद्धार हुआ था। यह मंदिर भी कांगड़ा नगर में था। (७) कांगड़ा शहर में खरतरवसही में श्री शांतिनाथ प्रभु का मंदिर । (८) कांगड़ा शहर में श्रीमाल पारिया का बनाया हुआ पार्श्वनाथ का मंदिर । (९) वि० सं० १५६० में सदारंग दुगड़ ने जैनमंदिर का निर्माण कराया था। (१०) अंबिकादेवी का मंदिर कांगड़ा किले में । (तथा दीवाल में श्री नेमिनाथ भगवान के शासनदेव तीन मुखवाले गोमेध नामक यक्ष और मणिभद्र क्षेत्रपाल को मूर्तियां भी हैं )। (११) कांगड़ा में बावन-जिनालय (बड़गच्छीय यति माल ने उल्लेख किया है)। (१२) घटियाला के शिलालेख से ज्ञात होता है कि वि० सं० ६११ में कांगड़ा में जिन प्रतिमा की प्रतिष्ठा हुई थी। (१३) कांगड़ा में इन्द्र श्वर (राजा इन्द्रचन्द्र द्वारा बनाया हुआ) विक्रम को ११ वीं शताब्दी का जैनमंदिर जिसको शिवलिंग स्थापित करके शिवमंदिर के रूप में परिवर्तित कर लिया गया है। (१४) नन्दनवनपुर में श्री महावीर प्रभु का तथा श्री शांतिनाथ का मंदिर । (१५) कोठीपुर नगर में श्री महावीर प्रभु का तथा श्री पार्श्वनाथ का मंदिर । (१६) इन्द्रापुर में श्री पार्श्वनाथ का मंदिर । (१७) नन्दपुर में श्री शांतिनाथ का मंदिर । (१८) सिंहनद में श्री पार्श्वनाथ का मंदिर । (१६) तलपाटक में श्री पार्श्वनाथ का मंदिर । (२०) कोटिलग्राम में श्री पार्श्वनाथ का मंदिर । (२१) देपालपुर में मांडवगढ़ के पेथड़कुमार का बनाया हुआ जैनमंदिर । (२२) लाहड़कोट में जिनमंदिर । (२३) कीरग्राम (वैजनाथ पपरोला-कांगड़ा से लगभग ३५ मील) में महावीर मंदिर। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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