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________________ यह दुष्कर साधन सामग्री पं० श्री हीरालाल जी दुग्गड़ की " मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म" नामक इस कृति में भरपूर है । इसके लिये यह कृति सचमुच एक "संदर्भ ग्रंथ " हो सकती है । ( ऊपर निर्देश किया गया है, इससे स्वाभाविक ख्याल आ जाता है कि जैनधर्म की सब (भारतीय) धर्मों से भी प्राचीनता को वैज्ञानिक तौर से प्रस्तुत करना आसान और सरल कार्य नहीं है वरन दुष्कर प्रक्रिया है । यही कारण है कि अब तक यह सब से प्राचीनता की ) मान्यता पुष्ट हुई हो ऐसा सब आधुनिक "इण्डो यूरोपियन " भाषाविद एवं बहुश: अन्य विचक्षण विद्वान लोग भी नहीं मानते । किन्तु श्री दूग्गर जी को इसका विस्तृत विश्लेषण करने में पर्याप्त सफलता प्राप्त हुई है। हमें प्राशा है कि श्री दुग्गड़ जी की इसी सामग्री को अपना कर और ऊपर दिये गये निर्देश अनुसार कोई भारतीय जैन विद्वान संशोधन की इस संक्लिष्टि दिशा में प्रस्थान करने को प्रयत्नशील बनेगा और इस साहस के लिये अवश्य प्रेरणा पायेगा । निःसंकोच कह सकते हैं कि श्री दुग्गड़ जी द्वारा पंजाब में जैनधर्म सम्बन्धी संकलित की हुई यह सामग्री बहुत उपयोगी है। ऐसे तो अपने ग्रंथ में विद्वान से निर्दिष्ट सभी विधानों की मान्यता में अन्य विद्वानों का कोई न कोई मतभेद रहना स्वाभाविक है । मतभेद ही विद्वता को आगे बढ़ाता है और नई-नई शोध खोज का मार्ग प्रस्तुत करता है । विशेषतः इतिहास का विषय ही ऐसा है कि जिसमें विद्वानों का मतभेद रहता ही है । लेकिन यह बात निर्विवाद है कि हर कोई इतिहासवेत्ता को श्री दुग्गड़ जी के विधानों को विमर्शार्थ योग्य अवकाश अवश्य देना पड़ेगा । सचमुच पं० श्री हीरालाल जी दुग्गड़ इस कार्य के लिये धन्यवादा हैं । हम श्री पंडित जी की इस कृति में प्रतिबिंबित उनकी भगम्य विद्वता की साश्चर्य सराहना करते हैं और श्राशा व्यक्त करते हैं कि यह कृति शोध छात्रों में और विद्वद्द् परम्परात्रों में उच्च कोटि को प्राप्त होगी । Patiala (Punjab) Date 1. January, 1980 Jain Education International Dr. Bhatt, Dr. Phil (Germany) Professor & Head : MAHAVIRA Chair for Jain Studies Punjabi University Patiala For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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