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________________ 46 विश्व शान्ति और अहिंसा (४) आणविक शस्त्रीकरण के इस युग में ऐसे समाजसेवी संगठनों को इस बात के लिए प्रेरित करना कि वे अपने देश में भी शस्त्रीकृत सैन्य प्रतिरक्षा संरचना के विरुद्ध अपना नैतिक विरोध और असहयोग प्रकट करें। (५) सशस्त्र सैन्य प्रतिरक्षा के स्थान पर अहिंसक, सामाजिक एवं असैनिक प्रतिरक्षा व्यवस्था को प्रोत्साहन दें। (६) शान्ति कार्य में सहायक असैनिक बल के रूप में बच्चों का उपयोग करें। (७) समाचारपत्रों के माध्यम से वर्तमान में किये जा रहे हिंसा के प्रदर्शन का विरोध करें । (८) हिंसा के कार्यों की सार्वजनिक अवज्ञा व निन्दा करने के लिए जन-समुदाय को यथेष्ठ प्राथमिक प्रशिक्षण दें। यह प्रशिक्षण सर्व प्रथम वार्ताओं, वक्तव्यों और दृश्य माध्यमों, जैसे— पोस्टर्स और चलचित्रों आदि से दिया जा सकता है, और तत्पश्चात् शान्ति और अहिंसा के पावन प्रयोजन से समस्त सामाजिक स्तरों पर प्रतीक प्रदर्शन के रूप में किया जा सकता है। (९) युद्धक प्रोत्साहक खिलौनों के क्रय-विक्रय पर पूर्ण पाबन्दी लगवायें । (१०) हिंसा से शिकार हुए लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था करें तथा उनको समाज का अंग बनाएं। (११) ऐसी जीवन-पद्धति का विकास करें, जिसमें स्वस्थ जीवन, शुद्ध और सात्विक शाकाहारी भोजन, उत्तम चरित्र की आदत डालना एवं शान्ति और न्याय के प्रति प्रेम और आस्था जागृत करना आदि सम्मिलित है 1 ५. वैयक्तिक कार्य " शान्ति और अहिंसा" की सत्ता कायम करने में व्यक्तिगत प्रयासों को भी सर्वाधिक महत्व दिया जाय और इस ओर निम्नांकित कार्य करने का संकल्प लें (१) जनमानस में सहिष्णुता एवं सह-अस्तित्व की भावना का जागरण । (२) शान्ति और इसके अनुरूप हर व्यक्ति की अवधारणा एवं विचारों का आदर करना तथा इस दिशा में केवल सुझावों पर निर्भर न रह कर व्यक्तियों को इस प्रयोजन से किये जा रहे कार्यों में भागीदार बनाना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003163
Book TitleVishwashanti aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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