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________________ ५७ परिशिष्ट (३) संयुक्त राष्ट्र संघ एवं इसके अधीनस्थ विभागों में गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि भेजना तथा प्रतिनियुक्त करना। (४) शान्ति और अहिंसा की स्थापना हेतु प्रत्येक देश में जनसभाओं की स्थापना। राष्ट्रीय प्रतिरक्षा की संरचना में हिंसात्मक साधनों के स्थान पर अहिंसात्मक साधनों की स्थानापन्न कराना। समाचार पत्रों पुलिस, राजनीतिज्ञों एवं न्याय-व्यवस्था को कानून और व्यवस्था के मही सिद्धान्तों और उसके तत्सम्बन्धी दायित्वों का बोध कराना। (७) प्रत्येक देश में शान्ति और आहिंसा का पृथक मन्त्रालय स्थापित करने हेतु अभिशंसा करना तथा उसके लिए राष्ट्र-सरकारों पर दबाव डालना। (८) शान्ति और अहिंसा की सार्वभौम शिक्षा के प्रचार और प्रसार के लिए उपयुक्त प्रयास करना। ४. सामाजिक कार्य सम्पूर्ण विश्व में शान्ति और अहिंसा का साम्राज्य स्थापित करने की दिशा में विभिन्न सामाजिक संगठनों की महती भूमिका को समझते हुए वे संगठन निम्नांकित कार्य सम्पादित करें: (१) पूर्व से विद्यमान समाजसेवी संगठनों को इस बात के लिए प्रेरित करना कि वे अपने ही अविभाज्य अंग-व्यक्ति को उचित सम्मान दें और उसकी प्रतिष्ठा बढ़ायें। ऐसे समाजसेवी संगठन अपने सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति, विशेषतः विश्व शान्ति स्थापना की दिशा में एक दूसरे को पूर्ण सहयोग प्रदान करें। (३) मतभेद की दिशा में विभिन्न समाजसेवी संगठन एक दूसरे के विपरीत प्रस्तावों को एक व्यवस्था के रूप में स्वीकार करें और उसका उचित समाधान करें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003163
Book TitleVishwashanti aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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