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________________ जीवन विज्ञान : स्वस्थ समाज रचना का संकल्प ध्यान देना। चरित्र-विकास के कुछ पहलू हैं। नैतिकता का विकास, यवहार- शुद्धि का विकास और अनुशासन का विकास-ये सारे चरित्र- विकास के तत्व हैं। चाहे सुपर लरनिंग की बात हो या जीवन विज्ञान की बात हो, केवल सैद्धांतिक पक्ष से काम नहीं चलता, प्रयोगात्मक पक्ष आवश्यक होता है। __ मस्तिष्क के मूल स्रोतों को प्रशिक्षित करना प्रयोगात्मक पक्ष है। जो निष्क्रिय हैं उन्हें सक्रिय करना, जो सुप्त पड़े हैं उन्हें जागृत फरना-यह प्रयोग से संबंधित है। प्रयोग की पहली बात है-तनाव से मुक्ति । विद्याथी मे ग्रहणशीलता तब बढ़ेगी जब वह तनावमुक्त होगा। तनाव चाहे शारीरिक हो, मानसिक या भावनात्मक, तनाव के रहते क्षमता नहीं बढ़ सकती। इसलिए पहली बात है-तनावमुक्ति । सुपर लरनिंग में भी यही कराया जाता है। सत्य एक होता है। सत्य को कभी देश- काल में बांटा नहीं जा सकता। सत्य देशातीत और कालातीत होता है। यह त्रैकालिक है। हम जिसे कायोत्सर्ग कहते हैं, अन्यत्र उसे रिलेक्शेसन कहा जाता है। इससे शारीरिक तनाव विसर्जित हो जाता है। शरीर में कहीं तनाव नहीं रहता। मस्तिष्क तनाव रहित होता है तब ग्रहण की क्षनता बढ़ जाती है। जब विद्यार्थी तनाव से भरा रहता है तब वह कुछ नहीं पढ़ पाता! कायोत्सर्ग की अवस्था तनावमुक्ति की अवस्था है। उसमें पढ़ने की शक्ति बढ़ जती है। १०-० शब्द याद करने वाला विद्यार्थी पचास शब्द करने लग जाता है। दूसरा प्रयोग है-लयबद्ध श्वास। योग में प्राणायाम का बहुत महत्त्व रहा है। धर्म का यह अनिवार्य अंग है। प्रत्येक धर्म के साथ उपासना की पद्धति जुड़ी हुई है। वैष्णव लोग संध्या करते हैं। जैन लोग प्रतिक्रमण करते हैं। मुसलमान नमाज पढ़ते हैं। वैष्णवों में संध्या का क्रम आज भी प्रचलित है, पर वे संन्ध्या के वास्तविक मर्म को भूल गए हैं। संध्या के साथ शिथिलीकरण, प्राणायाम और रंगों का ध्यान प्रचलित था। नीला रंग, लाल रंग और श्वेत रंग-इन तीनों रंगों के साथ ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कल्पना थी। संध्या रह गई और तीनों रंगों के प्रयोग छट गए। जैनों में भी प्रतिक्रमण रह गया और उसमें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003160
Book TitleJivan Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size7 MB
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