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मूल्यपरक शिक्षा : सिद्धान्त और प्रयोग कि नियत मूल्य वहां एक पेटी में डालकर वस्तुएं खरीद लें । न वहां कोई निरीक्षक था और न पैसा लेने वाला। यह प्रयोग चला। अप्रामाणिकता की कुछेक छुटपुट घटनाएं सामने आईं, पर अधिकांश विद्यार्थियों ने प्रामाणिकता से काम किया। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि विद्यार्थियों में भाव- परिवर्तन हुआ है। यह व्यवहार- परिवर्तन के द्वारा भाव- परिवर्तन का उदाहरण है। जब व्यक्ति एक प्रकार का अभ्यास करता जाता है तब मांसपेशियों का अभ्यास भी भाव को बदल देता है। जिसको हाथ उठाने का अभ्यास होता है, उसे उत्तेजना के समय में सोचना नहीं पड़ता कि मुझे हाथ उठाना है, हाथ स्वयं उठ जाता है। मांसपेशियां इतनी अभ्यस्त हो जाती हैं कि सोचने की जरूरत ही नहीं होती। पहले दिन जब हम नए मकान की सीढ़ियां चढ़ते हैं तब ध्यान रखना होता है। किन्तु जब हम अभ्यस्त हो जाते हैं तब पांव स्वतः ऊपर चढ़ने- उतरने में स्खलित नहीं होते। मांसपेशियों को अभ्यास हो जाता है। ऊंट का तांगा चल रहा है। मालिक सो रहा है। ऊंट मार्ग- च्युत नहीं होता, मूल मार्ग पर बढ़ता जाता है, क्योंकि उसे अभ्यास हो चुका है। ____ फ्रांस के सेनापति की अगुलियां कट गईं। डाक्टर ने अंगुलियों का प्रत्यारोपण किया। जब सेनापति सामूहिक कार्यक्रमों में जाता, तब उसका हाथ दूसरों की जेबों में चला जाता। उसे भी आश्चर्य होता और देखने वाले भी स्तंभित रह जाते । कुछ दिन बीते । उसने डाक्टर को बुलाकर पूछा, डाक्टर ने ध्यान देकर कहा-गलती हो गई। प्रत्यारोपित अंगुलियां एक जेबकतरे की थी इसलिए वे सीधी दूसरों की जेब में जाती हैं।
स्नायुओं और मांसपेशियों को अभ्यास होता है और वे संस्कार उनमें जम जाते हैं।
विद्यार्थी के व्यवहार को बदलना है तो कुछ प्रयोग करने होंगे। प्रत्येक व्यक्ति में सोचने-समझने की शक्ति होती है और जब कुछ प्रयोग किए जाते हैं तब चेतना बहुत शीघ्र जागृत हो जाती है बुद्धि-परीक्षा के अनेक प्रयोग किए जाते हैं। उसी प्रकार आदत वं परिवर्तन के लिए भी अनेक प्रयोग किए जा सकते हैं।
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