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________________ ७६ जीवन विज्ञान : स्वस्थ समाज रचना का संकल्प एक बार विद्यालय में एक विद्यार्थी को कहा-'तुम्हें अपना जन्म-दिवस मनाना है तो अच्छे कपड़े पहन कर आना, माता-पिता को प्रणाम करना, गुरुजनों को प्रणाम करना, सभी साथियों के साथ अच्छा व्यवहार करना। बच्चा बहुत प्रसन्न हुआ। इस प्रयोग ने उसमें उत्साह भर डाला। विद्यार्थी के मन में एक भय होता है, स्कूल के प्रति एक भावना होती है। जब उसे यह लगता है कि वहां मेरा स्वागत होता है, सम्मान होता है, मुझे प्रेम मिलता है, फिर उसके मन का भय भाग जाता है, स्कूल के साथ आत्मीय भाव जाग जाता है। इस प्रकार के व्यावहारिक प्रयोगों के द्वारा भाव- परिवर्तन किया जा सकता है। जब भाव- परिवर्तन होता है तब व्यवहार अवश्य बदलता है। जैसा भाव होता है, वैसा व्यवहार बनता है। इसके बीच में विज्ञान की एक कड़ी और जुड़ती है कि भाव द्वारा रसायन पैदा होता है ! रसायन भाव पैदा करता है, प्रत्येक व्यवहार के पीछे एक रसायन पैदा होता है। भाव का रसायन भिन्न होता है, क्रोध का और क्षमा का रसायन भिन्न होता है। जितने भाव हैं उतने ही रसायन है। भाव के द्वारा रसायन बदलता है और रसायन के द्वारा व्यवहार । बात जुड़ी हुई है। यह बात कुछ सूक्ष्म हो जाती है। व्यवहार- परिवर्तन का भी अभ्यास कराना चाहिए। प्रयोग के बिना आदतें बदलती नहीं है। विद्यार्थियों को रचनात्मक विकल्प देने से उनमें परिवर्तन घटित होने लगता है। जब बच्चा मिट्टी खाता है, माताएं उसको वंशलोचन देती हैं। बच्चा वंशलोचन खाने लगता है और उसकी मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है। रचनात्मक विकल्पों के द्वारा आदतें बदलती हैं। __ एक बच्चे में चोरी की आदत बन गई। वह जब कभी कोई भी चीज चुरा लेता है। उसको कैसे बदलें? पहली बात है कि उसको चोरी के परिणामों का बोध कराया जाए। दूसरी बात है कि उसको प्रयोग सिखाए जाएं। वह चोरी का निर्णय लेता है चेतन माइन्ड से। दर्शन केन्द्र पर ध्यान कराने से उसकी अन्तर् प्रज्ञा जागृत होगी और तब चोरी की आदत छूट जाएगी। यह आन्तरिक प्रयोग है। चोरी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003160
Book TitleJivan Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size7 MB
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