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________________ संवेद नियंत्रण की पद्धति ६६ उच्छृंखलता के कारण जो समस्याएं आती हैं, उनसे बचा जा सकेगा । संवेदन- नियन्त्रण का एक उपाय है- प्राणकेन्द्र पर ध्यान करना, यानी नासाग्र पर ध्यान करना । नाक का विकारों के साथ गहरा संबंध है । मस्तिष्क का एक भाग है- एनिमल ब्रेन। इसी के कारण मनुष्य में पाशविक वृत्तियां उभरती हैं। उसका संबंध नाक और इंद्रियों के साथ है। प्राचीन आचार्यों ने इसका अनुभव किया और इस पर विजय पाने के लिए नासाग्र पर ध्यान करने की बात कही। भगवान् महावीर की ध्यानमुद्रा में दोनों आंखें नाक पर टिकी देखी जाती हैं। हम किसी भी दृष्टि से सोचें चाहे बौद्धिक विकास के लिए, चाहे भावनात्मक विकास के लिए, चाहे जीविका की सफलता के लिए या सहअस्तित्व की सफलता के लिए, हमें संवेदों पर नियंत्रण करना होगा। यह एक उपाय है। अनुपाय कुछ भी नहीं है। जिसके पास उपाय नहीं है, वह हजार प्रयत्न करने पर भी सफल नहीं हो सकता । जिसके पास उपाय है, वह थोड़े समय में ही सफलता की मंजिल तक पहुंच जाता है। इसलिए उपाय को खोजें, अपनाएं और मंजिल तक पहुंचें। संवेदों पर नियंत्रण पाने का मार्ग सबके लिए कल्याणकारी है। यदि प्रारंभ से ही विद्यार्थी को उपाय और परिणाम बोध से परिचित करा दिया जाए तो न केवल विद्यार्थी जीवन अच्छा होगा, परन्तु उसका पूरा सामाजिक जीवन भी अच्छा होगा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003160
Book TitleJivan Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size7 MB
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