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जीवन विज्ञान : स्वस्थ समाज रचना का संकल्प
थाइमस और पिनियल-ये दोनों ग्रन्थियां निष्क्रिय हो जाती हैं। थाइमस ग्रन्थि के निष्क्रिय होने का परिणाम है कि उसमें सहनशक्ति, चुस्ती, प्रसन्नता, आनन्द आदि का अभाव हो जाता है। पिनियल ग्रन्थि जब निष्क्रिय हो जाती है तब नियन्त्रण की शक्ति कम हो जाती है। दीर्घश्वास के प्रयोग से बालक अनेक चीजों से बच जाता है। १३-१४ वर्ष की अवस्था में यौन सक्रियता बढ़नी शुरू हो जाती है और पिनियल की निष्क्रियता के कारण नियन्त्रण की शक्ति कम हो जाती है। इस स्थिति में बालक अनेक बुराइयों का शिकार हो जाता है। यह वैज्ञानिक दृष्टि की बात है। अब हम इस पर योगदृष्टि से विचार करें।. कामवृत्ति का केन्द्र है-नाभि से गुदा तक का स्थान, उपस्थ का स्थान। यह अपान का स्थान है। जब अपान पर प्राण का नियन्त्रण रहता है तब वृत्तियां शांत रहती हैं। अब अपान पर प्राण का नियन्त्रण कम हो जाता है तब अधोगामी वृत्तियां सक्रिय होने लगती हैं।
यदि हम तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि विज्ञान की भी यही निष्पत्ति है और योग की भी यही निष्पत्ति है। दोनों की निष्पत्ति एक है।
दीर्घश्वास से अपान पर नियन्त्रण साधा जाता है। यदि विद्यार्थी को इसका ठीक अभ्यास करा दिया जाता है तो वह प्रारंभ से ही बुरी आदतों में नहीं फंसेगा। वह बुराइयों से बच जाएगा।
अनेक व्यक्ति पूछते हैं कि बुरे विचार बहुत आते हैं, उन्हें रोकने का क्या कोई उपाय है?
हम सीधा-सा उपाय बताते हैं कि दस मिनिट तक दीर्घश्वास का प्रयोग करें। एक मिनिट में दो श्वास लें, समस्या हल हो जाएगी। केवल विद्यार्थी ही नहीं, कोई भी इस प्रयोग से लाभ उठा सकता है। जब बुरे विचार, निम्न वृत्तियां, वासनाएं आक्रमण करती हैं तब दीर्घश्वास का प्रयोग कर इनको रोका जा सकता हैं। दीर्घश्वास इसका प्रतिरोधक है।
संवेदन- नियन्त्रण के लिए भी दीर्घश्वास बहुत आवश्यक है। आप यह न सोचें कि संवेदन- नियन्त्रण से आपकी गृहस्थी में अन्तर आ जाएगा। आप चिंता न करें, बाधा नहीं आएगी। किंतु इंद्रियों की
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