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________________ सा विद्या या विमुक्तये ४७ जाएगा। जिसमें त्याग की क्षमता है, अस्वीकार की क्षमता है, बलिदान की क्षमता है, वह चाहे बीस वर्ष का ही हो फिर भी उसे पंडित कहा जाएगा, बाल नहीं कहा जाएगा। गीता में पंडित उसे कहा है जिसके सारे समारंभ वर्जित हो गए हैं। जैन आगम सूत्रकृतांग में एक प्रश्न किया गया है कि 'बाल' और 'पंडित' किसे कहा जाए? सूत्रकार ने उत्तर दिया-'अविरइं पडुच्च बालेत्ति आह, विरई पडुच्च पंडिएत्ति आह'- जिसमें अविरति है, अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करने की क्षमता नहीं है, वह 'बाल' है। जिसमें विरति है, अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करने की क्षमता है, वह 'पंडित' है। इच्छा प्राणीमात्र का असाधारण गुण है, विशिष्ट गुण है। जिसमें इच्छा नहीं होती, वह प्राणी नहीं होता। यह प्राणी और अप्राप्पी की भेदरेखा है। मनुष्य में इच्छा पैदा होती है । इच्छा पैदा होना एक बात है किन्तु इच्छा को स्वीकार करना और इच्छा को अस्वीकार करना दूसरी बात है। इच्छा की कांट-छांट मनुष्य ही कर सकता है। अन्य प्राणी ऐसा नहीं कर सकते। मनुष्य की विवेक चेतना जागृत होती है, इसलिए वह हर इच्छा को स्वीकार नहीं करता। यदि वह प्रत्येक इच्छा को स्वीकार करता चले तो सारी व्यवस्था गड़बड़ा जाती है। एक सुन्दर मकान देखा, किसकी इच्छा नहीं होगी कि मैं इस मकान में रहूं ? रास्ते में खड़ी सुन्दर कार को देखा, कौन नहीं चाहेगा कि मैं इसमें सवारी करूं ? इच्छा हो सकती है। पर वह यह सोचकर इच्छा को अमान्य कर देता है कि यह मेरी सीमा की बात नहीं है। यह है विवेक- चेतना का काम। शिक्षा का काम है कि वह मनुष्य मनुष्य में विवेक- चेतना को जगाए। इससे संवेग-नियंत्रण और संवेदनाओं तथा आवेगों पर नियन्त्रण करने की क्षमता पैदा होती है। आज युग बदल गया, परिस्थितियां बदल गईं, किंतु हमारीधारणाएं और संस्कार नहीं बदले। युग के साथ साथ जो परिवर्तन आना चाहिए था, वह नहीं आया। आज समाज में ओसर- मोसर की बात, छुआछूत और दहेज की बात वैसे ही चल रही है जैसे वह प्राचीन काल में चलती थीं। प्राचीन काल में, संभव है, इनका मूल्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003160
Book TitleJivan Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size7 MB
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