SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 163
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५२ जीवन विज्ञान : स्वस्थ समाज रचना का संकल्प का नियम है। गति, स्थिति और परिवर्तन-ये तीनों जागतिक नियम हैं । ये सब सत्य हैं, किन्तु इनकी व्याख्या भी अभी प्रासंगिक नहीं है। अस्तित्व सत्य और जागतिक सत्य- ये दोनों सत्य समाज के साथ सीधे जुड़े हुए नहीं है। प्रत्यक्षतः इनका समाज के साथ संबंध स्थापित नहीं किया जा सकता। नियम- सत्य का एक संदर्भ है मनुष्यकृत नियम । मनुष्य नियम बनाता है। उसका पालन होता है और समाज के साथ उसका संबंध जुड़ा रहता है। चाहे धर्म- व्यवस्था के या समाज- व्यवस्था के नियम हों, वे सब सत्य हैं। उन्हीं के आधार पर धर्म - व्यवस्था और समाज- व्यवस्था का निर्णय होता है। एक धर्मगुरु अपने धर्म की आचार-संहिता, मर्यादा और परम्परा के आधार पर निर्णय देता है। एक न्यायाधीश कानून और संविधान के आधार पर निर्णय करता है। समाज-व्यवस्था का संचालक समाज-संहिता के आधार पर निर्णय देता है। ये नियम जागतिक या सार्वभौम नहीं हैं। ये सब कृतक हैं, मनुष्य द्वारा किए हुए हैं। ये सत्य हैं और इनसे समाज का संबंध जुड़ता है। इनसे सामाजिक जीवन के साथ संबंध स्थापित होता है। इनसे समाज प्रभावित होता है। नियमों का बहुत बड़ा जाल बिछा हुआ है। समय समय पर नियम बनते रहते हैं | नये नियम बनते हैं, पुराने मिटते हैं और कुछ नियमों में परिवर्धन, परिशोधन होता है। नियमों का पालन भी होता है और उल्लंघन भी होता है। नियमों का अतिक्रमण असत्य या अन्याय माना जाता है। ३. ऋजुता सत्य सत्य का एक अर्थ है-ऋजुता। यह आध्यात्मिक सत्य है। ऋजुता का अर्थ है-सरलता। ऋजुता का अर्थ है-अमाया, अछलना, अप्रवंचना । माया असत्य है। छलना और प्रवंचना असत्य है। ऋजुता के तीन प्रकार हैं-मन की ऋजुता, वचन की ऋजुता और शरीर की ऋजुता। ये तीनों सत्य हैं। यह है मानसिक सत्य, वाचिक सत्य और कायिक सत्य । छिपाना असत्य है। आदमी छिपाता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003160
Book TitleJivan Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy