________________
समाज का आधार : अहिंसा की आस्था
१३६
अहिंसा के अनेक विघ्न हैं, हिंसा क अनागन कारण है। आज इतना ही चिंतन करें कि एक नये संकल्प और नई आस्था का निर्माण हो और वह बचपन से हो, शिक्षा के क्षेत्र में हो, धर्म के क्षेत्र में हो और अध्यापक या धर्मगुरु के द्वारा हो। आज दो ही स्थान ऐसे हैं जहां से कुछ आशा की जा सकती है। एक तो हैधर्म का. क्षेत्र और दूसरा है-शिक्षा का क्षेत्र। इसके अतिरिक्त तीसरा क्षेत्र कोई दिखाई नहीं दे रहा है। धर्म के क्षेत्र से भी आज अधिक मूल्यवान् बन गया है शिक्षा का क्षेत्र, क्योंकि आज का विद्यार्थी जितना शिक्षा से जुड़ा हुआ रहता है उतना धर्म से नहीं। पहले तो घर के वातावरण में माता-पिता बच्चे को धर्म का पाठ पढ़ाते थे पर आज वह भी छूट गया है। इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में ही यदि आस्था के कुछ बीज बोने की बात सोची जाए तो शायद सामाजिक मूल्यों के विकास की बात आगे बढ़ सकती है, उसका सुपरिणाम आ सकता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org