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जीवन विज्ञान: स्वस्थ समाज रचना का संकल्प
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अहिंसा का तीसरा तत्त्व है - कष्ट सहिष्णुता । हमारे सामने दो मार्ग हैं। एक है सुविधा का मार्ग और दूसरा है कष्ट सहिष्णुता का मार्ग । मैं कष्ट - सहिष्णुता की चर्चा करूं तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं आज की धारा के प्रतिकूल बात कर रहा हूं। आज युग की धारा सुविधावादी धारा है। सारे आश्वासन सुविधावाद के मिल रहे हैं। एक व्यक्ति चुनाव लड़ता है, वह अपने चुनाव क्षेत्र में आश्वासन यह देता है कि मैं तुम्हें अधिक से अधिक सुविधा उपलब्ध कराऊंगा और उस आधार पर चुनाव में हार और जीत होती है। शायद पूरा कर सके या न कर सके, पर आश्वासन देगा अधिक से अधिक सुविधा का ।
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एक व्यक्ति चुनाव में खड़ा हुआ । उसने चुनाव का प्रचार शुरू किया और कहा कि देखो, पहली बार तुम लोगों ने मुझे जिताया तो मैंने गांव-गांव में पानी के नल लगवा दिए। अब अगर मुझे जिताओगे तो नलो में पानी भी आ जाएगा। आश्वासन देता है और उस सुविधा के आश्वासन में आदमी उलझ जाता है !
एक बड़ी समस्या है सुविधावादी दृष्टिकोण | मैं उसके प्रतिपक्ष । कष्ट - सहिष्णुता की बात कर रहा हूं। अभी गर्मी नहीं है। यदि गर्मी हो तो हर व्यक्ति पंखे के आस- पास बैठना चाहेगा, कमरे में बैठना कोई नहीं चाहेगा । हमारी प्रवृत्ति है सुविधा की ओर। सहज आकर्षण है सुविधा के प्रति । क्या हम मनुष्य की सहज मांग को ठुकरा कर कोई ऐसी प्रतिकूल धारा की बात तो नहीं कर रहे हैं, जिसे अस्वाभाविक कहा जाए?
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