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________________ ६५ नैतिकता की समस्या वह दे दिया। मैं प्रयोग कर रहा हूं। आज का विद्यार्थी केवल पढ़ता है। वह मनन नहीं करता। उसके पास मनन करने के लिए समय ही नहीं है। मनन के बिना आचरण की बात प्राप्त नहीं होती। पढ़ना, मनन करना, आचरण करना--ये तीनों अभ्यासात्मक हैं। इनकी समन्विति से ही धर्म या नैतिकता जीवन में अभिव्यक्ति पाती है। जीवन विज्ञान की प्रणाली में जो ध्यान के आन्तरिक प्रयोग कराए जाते हैं, वे आदेश से होने वाले प्रयोग नहीं है। प्रारंभ में आदेश का पालन करना होता है, फिर वह प्रयोग अपना हो जाता है, आत्मिक हो जाता है। तब आदेश गौण और अन्तर का प्रभाव मुख्य हो जाता है। जब तक कोई भी पद्धति आत्मिक नहीं बन जाती, तब तक आदमी उसको करता तो है पर उसमें रस नहीं आता, उससे तादात्म्य स्थापित नहीं होता। तादात्म्य स्थापित हुए बिना घटना घटित नहीं होती। ___ ध्यान से व्यक्ति बदलता है। उसमें नैतिकता के प्रति आस्था का जागरण होता है और तब वह अनैतिकता की परिस्थिति उपस्थित होने पर भी अनैतिक आचरण नहीं करता। प्रारंभ से ही यदि विद्यार्थी को नैतिक घटनाओं के संदर्भ में शिक्षा दी जाए तो नैतिकता के संस्कार उसमें प्रतिष्ठापित हो सकते हैं। फिर वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में अनैतिक नहीं बनता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003160
Book TitleJivan Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size7 MB
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