SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८८ / नए मंदिर : नए पुजारी उनको शह देने वालों को भी गोली से उड़ा देना चाहिए। एस लागा क कारण ही सरकार को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़या है। रेलवे कर्मचारियों को सरकार ने कितनी सुविधाएँ दी हैं, तो भी ये लोग नहीं रुकते आए दिन कहीं न कही हड़ताल तैयार रहती है । सरकार भी आज इनके वश में है । उसे इनके सामने नाक रगड़नी पड़ती है। इनकी माँगें स्वीकार हो जाती हैं । फिर भी ये लोग काम करके कहाँ देते हैं । आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। सरकार को इनके लिए कानून बनाने चाहिए । चक्रवर्ती - ( जो इतनी देर चुप था ) पर भाई साहब ! ये सब प्रश्न बड़े टेढ़े हैं। इन पर सहानुभूति से विचार करना पड़ेगा । केवल कानून से काम नहीं चलेगा। इन सारी समस्याओं पर मानवीय दृष्टि से विचार करना पड़ेगा । बियाणी -- मियाँ ! आप जैसे सहानुभूति वाले लोगों ने ही देश का बेड़ा गर्क कर रखा है । सरकार चलती कानून - कायदे से चलती है । बिना कायदे के घर की गाड़ी भी नहीं चलती । चक्रवर्ती - यही बात तो मैं कह रहा हूँ । जिस आदमी ने थोड़ा सा भी समाजशास्त्र का अध्ययन किया है, वह अच्छी तरह से जानता है कि केवल कानून से देश नहीं चलता । यद्यपि मुझे धर्म-कर्म की विशेष जानकारी नहीं है और न ही मैं इसे मानता हूँ । पर इतना अवश्य मानता हूँ कि जब तक जनता का हृदय परिवर्तन नहीं होगा, तब तक कानून निरर्थक । है । वे केवल कागजों में लिखे रह जायेंगे । कानून की दृष्टि से देखा जाय तो आज कानून कम थोड़े ही हैं ? दिन प्रतिदिन उनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है । पर जब तक जनता को कानून में विश्वास नहीं होगा तब तक एक नहीं हजार कानून बनानो किसी का पालन नहीं होगा । कुलकर्णी - तो जनाब यह समझते हैं कि आज जो सरकार चल रही है, वह कानून से नहीं चल रही है ? चक्रवती - मैं कानून की अवहेलना कहाँ करता हूँ ? मैं तो मनाता हूँ कि सबसे अच्छा कानून वह है जो सबको न्याय दे । समाज के किसी एक वर्ग को कोसने से काम नहीं चलेगा। आवश्यकता इस बात की है कि आज जो सरकार चल रही है वह सारे समाज की दृष्टि से कानून Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003159
Book TitleNaye Mandir Naye Pujari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlalmuni
PublisherAkhil Bharatiya Terapanth Yuvak Parishad
Publication Year1981
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy