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________________ कानून की मौत | ८७ करना नहीं चाहते और दूसरे लोगों पर इल्जाम लगाते हैं यह गलत बात है। बियाणी---तुमने शराब तो नहीं पी, रखी है ? जानते हो, तुम जिस तरह से बोलते हो उससे तुम्हें थाने की राह दिखाई जा सकती है। पुलिस-थाने की राह तो आप क्या दिखाएंगे, हम आपको दिखाएंगे। अभी गरीब वर्ग इतना संगठित नहीं है। पूंजीपतियों ने ही इनमें फूट डाल रखी है । जिस दिन मजदूर एक हो गए तो समझ लीजिए कि आपको थाने में जाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। वे अपने आप आपसे सलट लेंगे। कुलकर्णी - नहीं यार ! आजकल इन बेईमान लोगों के बड़े सींग आ गए हैं। देखो तो सही, यह दो टके का आदमी किस तरह से बात कर रहा है। ऐसा लगता है जैसे कोई मार्क्स का ही अवतार है । पर भाई ! यों बातें बघारने से नहीं होगा । यदि देश का उत्थान करना है, तो पहले अपने-आपको सुधारो । गरीब को चाहे कितना ही पैसा क्यों न मिल जाए, पर क्या वह अपनी गंदी आदतों को सुधारता है ? मैंने तो देखा है, जब भी उनके हाथ में पैसा आता है तो वे व्यसनग्रस्त हो जाते हैं और उत्पात मचाते हैं। केवल पूजीपतियों को गाली देने से देश का सुधार नहीं हो सकता । पहले अपनी जबान संभालो। जरा सोचो कि तुम क्या बोल रहे हो? पुलिस-- मैं तो सोच-समझकर ही बोल रहा हूँ। वास्तव में आप मेरी जगह होते तो पता लगता कि आदमी को क्या बोलना चाहिए। आपने कभी गरीबी के दर्शन नहीं किए हैं। आप बड़े-बड़े महलों में रहते हैं। आपके आफिस भी एयरकंडीशंड हैं। कार हर क्षण आपके सामने खड़ी रहती है पर यदि आप गरीब की दशा देख लेते, उसकी टूटी बिखरी सीलनभरी झोंपड़ी को देख लेते, उसके बीमार बच्चे को देख लेते, उसकी पिसती हई औरत को देख लेते तो शायद आपको इतना गुस्सा नहीं आता। आपने अभी तक अमीरी के ही सपने देखे हैं, गरीबी की वास्तविकता का आपको पता नहीं है। बियाणी -हद हो गई। जब बाड़ की ककड़ी को खाने लगे तो क्या किया जाए ? मैं तो कहता हूँ, केवल चोरी करने वालों को ही नहीं अपितु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003159
Book TitleNaye Mandir Naye Pujari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlalmuni
PublisherAkhil Bharatiya Terapanth Yuvak Parishad
Publication Year1981
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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