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८४ / नए मंदिर : नए पुजारी
अपनी दारू की दुकान खोल दी है। मैं नियमित रूप से इस दुकान में दारू बेच रहा हूँ। हर रोज ग्राहक आते हैं। बच्चे, बूढ़े, नौजवान । स्त्रीपुरुष । पर मैं अपने धंधे में इतना रच-पच गया हूँ कि मेरा उनसे केवल पैसे से वास्ता है। आज अचानक इस बच्चे को देख कर मुझे अपना इतिहास याद आ गया। मैं अचंभे में पड़ गया हूं। मुझे लगता है जैसे मैं ही अपनी दुकान में खड़ा हूं। ____ मैं अपने लोभ का संवारण करूं या एक इतिहास की पुनरावृत्ति करूं। मैं सोच रहा हैं यदि वह ठेकेदार मुझे शराब नहीं पिलाता, तो शायद मैं बच जाता, पर नहीं, वह तो शराब नहीं पिलाता तो मेरा बाप मुझे दूसरी दुकान पर ले जाता । मैं भी इसे नहीं पिलाऊँगा, तो यह भी दूसरी जगह जाकर पिएगा। सचमुच दुनियां में चारो और कीचड़ ही कीचड़ भरा है। यदि कोई इससे बचाने वाला है, तो वह माँ ही है। वहीं मनुष्य को जरक से निकालकर स्वर्ग पहुंचा सकती है।
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