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अन्याय का पैसा / ६६
नौकरों को भेजा । वे उन्हें लेकर आ रहे थे । रास्ते में एक पड़ाव करना जरूरी था। क्योंकि इतने लम्बे रास्ते को जानवर एक दिन में पार नहीं कर सकते थे । पर रात में न जाने कैसी हवा चली कि सारे-के-सारे जानवर एक साथ ही मर गए। न जाने यह कोई प्राकृतिक प्रकोप था या और कुछ, पर लोगों में एक चर्चा थी कि अन्याय का पैसा इसी तरह नष्ट हो जाता।
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