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सीमा विवाद
हम अपने एक मित्र के घर वियतनाम के युद्ध पर चर्चा कर रहे थे। चर्चा इतनी गर्म हो गई कि रूस और अमरीका पीछे छूट गए, हम स्वयं ही तीव्र वाक-युद्ध में उलझ गए। हमारे आरोपों-प्रत्यारोपों का तुमुल संघर्ष चल ही रहा था, कि अचानक नीचे से एक पिल्ले की कर्णभेदी चें-चें की आवाज़ सुनाई दी। उस अन्तराल में मुझे कुत्तों पर ही गुस्सा आ गया । मेरे मन में एक उचक्कु कुत्ते का चित्र चक्कर काटने लगा जो किसी बच्चे के हाथ से रोटी छीनकर भाग जाता है । फिर मुझे एक गंदले कुत्ते की याद आई जो स्थान गंदा करना अपना जन्म-सिद्ध अधिकार मानता है। और फिर मुझे एक भौंकने वाले कुत्ते की याद आ गई जो भौंक-भौंक कर सबकी नींद हराम कर देता है। अन्त में मैं एक शैतान कुत्ते की कल्पना करने लगा, जिसके पास रोटी खाने और लड़ने के सिवाय और कोई काम नहीं होता। इन्हीं सब भावनाओं से कुत्तों के प्रति मेरा मन रोष से भर आया और सोचने लगा कि ज़रूर कोई कुत्ता किसी बच्चे के हाथ से रोटी छीनकर ले गया होगा। अब उसकी मरम्मत हो रही है और वह चें-चें कर रहा है। __इतने में हमारे मित्र का छोटा लड़का दौड़ता-दौड़ता आया और बोला पापा ! मेरे पिल्ले को कुत्ते मार रहे हैं। उसकी आकृति और बातों में इतनी भावनुभूति थी कि हम लोग वहाँ रूक नहीं सके ! उसी पल उठे
औरनिचली मंजिल की ओर दौड़े। वहां आकर देखते हैं कि तीन-चार तगड़े कुत्ते एक पिल्ले पर पिल रहे हैं। पिल्ला बेचारा अकेला था और क्रूर लड़ाई के दांव पेंच भी पूरे नहीं जानता था। अतः चें-चें के सिवाय
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