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२४ नए मंदिर : नए पुजारी
मम्मी-पापा को। महेश की यह आक्रोशपूर्ण धमकी सुनकर माधुरी इतनी डर गई कि
उसे बुखार हो गया। उसकी जबान बन्द हो गई। वह अक्षम होकर फर्श पर ही लेट गई । जब तक मम्मी-पापा आये तब तक महेश को भीनींद आ गई। उन्होंने बेल बजा-बजा कर बड़ी मुश्किल से महेश को उठाया । आधी नींद में ही महेश ने दरवाजा खोला।
वातावरण बदल जाने से मम्मी-पापा का मन थोडा शांत हो गया था, पर जब सुशीला ने फर्श पर लेटी हई माधरी को बिछौने पर सोने के लिए उठाया तो स्तब्ध रह गई। माधुरी का शरीर आग की तरह जल रहा था। सुशीला अत्यन्त ममतामयी होकर बोली--अरे, माधुरी को तो तेज बुखार हो गया है । पर माधुरी नींद में इतनी बेसुध थी कि उसे दवाई भी नहीं दी जा सकी।
सबेरे भी माधुरी का बुखार चालू था । अतः वह स्कूल भी नहीं जा सकी। महेश मार तथा अपमान से इतना संतप्त था कि वह बिना नाश्ता किए ही स्कूल चला गया। यद्यपि वह पापा से अपनी कैफियत देना चाहता था तथा मम्मी से माधुरी की मरम्मत भी करवाना चाहता था, पर माधुरी बुखार में थी अतः यह संभव नहीं हो सका । वह गुस्से में ही स्कूल चला गया।
सुबह से ही घर का वातावरण बोझिल था। इतने में पड़ोसिन चम्पा की लड़की किसी काम से उनके घर आ गई। उसकी चोटी में लगे हुए गुलाब के फूल को देखकर सुशीला ने पूछा-अरे यह फूल कहां से लाई ?
उसने कहा--तुमको पता नहीं है क्या? कल मम्मी ने तुम्हारी बगिया में से लाकर ही यह फूल मेरी चोटी में गूंथा था। फूल बड़ा अच्छा था, अतः रात को मैं इसे उतारकर सो गई थी। सुबह फिर से लगा लिया है। ___इतना सुनते ही सुशीला अन्दर कमरे में भागी मौर माधुरी से लिपट गई । उसकी आंखों में पश्चाताप के आंसू आ गए । माधुरी को बार-बार चूमते हुए उसने कहा-बेटी, तुम्हारा कोई दोष नहीं। मैंने गलती से तुम्हें मारा । न जाने महेश ने मुझे क्यों गलत सूचना दी, जिससे मुक्षसे यह
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