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________________ भूल / २५ गलती हो गई । मेरे कारण तेरे को यह बुखार हो गया । अब तू उस बात को भूल जा और शांत हो जा । माधुरी मम्मी का यह अतिशय प्रेम तथा पश्चात्ताप देखकर थोड़ी आश्वस्त हुई। उसने कहा- मम्मी ! पप्पू ने मेरा झूठा नाम लिया, इससे मैंने भी उसका झूठा नाम ले लिया । वास्तव में पैसे उसने नहीं चुराए थे । मैंने उसका झूठा नाम ले लिया था । मम्मी, तू मुझे पीटेगी ? पप्पू ने कहा था कि मैं मम्मी से तुम्हारी मरम्मत कराऊंगा । इतने में ही बाहर से पापा की आवाज आई । 'अरे, पैसे तो मेरे पुराने शर्ट में पड़े हैं। मैं तो भूल ही गया । व्यर्थ ही मैंने महेश को अपमानित किया ।' यह कहते-कहते वे अन्दर आ गए । स्पष्ट रूप से उनके चेहरे पर पश्चात्ताप का भाव झलक रहा था । सुशीला ने कहा- आज महेश भूखा ही स्कूल चला गया है । तुम जरा जल्दी करो और आफिस जाने से पहले उसका नाश्ता स्कूल पहुँचा आओ' मैंने नाश्ता तैयार कर दिया है । पापा उसी समय नाश्ता लेकर स्कूल पहुँचे । महेश का मन अब भी अशांत था । उन्होंने मुश्किल से उसे एक ओर बुलाकर कहा - महेश ! मुझसे गल्ती हो गई बेटे ! माधुरी के कहने से मैंने तुम्हारा अपमान किया । मुझे मेरे पैसे भी मिल गए हैं तथा माधुरी ने भी अपनी गलती स्वीकार कर ली है । वह बुखार से पीड़ित है । तुम उसे क्षमा करो । मेरा मन भी पश्चात्ताप से जल रहा है। अब तुम खाना खाओ और पिछली को भूल जाओ । माधुरी की पीड़ा तथा पापा के चेहरे पर उभरे पश्चात्ताप के भावों से महेश अभिभूत हो गया। अब तक वह दूसरों की गलती देख रहा था । अब उसे अपनी गलती भी स्पष्ट दिखाई देने लगी । वह पापा से क्षमा मांगते हुए बोला, पापा ! मुझे माफ करो । वास्तव में गलती आपकी या माधुरी की नहीं है मेरी ही गलती है । मैंने ही बिना जाने-बूझे उस पर आरोप लगाया । उसने जो कुछ किया, वह तो केवल प्रतिक्रिया थी । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003159
Book TitleNaye Mandir Naye Pujari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlalmuni
PublisherAkhil Bharatiya Terapanth Yuvak Parishad
Publication Year1981
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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