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________________ १२२ / नए मंदिर : नए पुजारी पुलिस को ताव आता था तो दूसरी ओर जनता गोलियों की बौछार से बेहोश हो रही थी । काफी आदमी मर चुके थे। पुलिस के जवानों को भी काफी चोटें आयीं थी, पर अभी गणना की फ़ुर्सत किसको थी ? कभी गोली खाली चली जाती थी, तो कभी कोई एकाध व्यक्ति जमीन पर गिर पड़ता था । इस रस्साकसी में जब जनता पीछे भागती तो पुलिस मरी हुई लाश को इस तरह घसीटते हुए अपने कब्जे में कर लेती थी मानो वह कोई कुत्ते की लाश हो ? इससे जनता फिर उबलती, और पुलिस फिर लाठी चलाती, पत्थर फैकती तथा कभी-कभी गोली चलाती थी । गोली की बात सारे गांव में फैलनी स्वाभाविक थी । इसलिए शहर के सभी स्कूलों की छुट्टी कर दी गई। गांधी सदन के लड़कों की भी छुट्टी हो गई थी । सभी लड़के भय और उत्सुकता से अपने-अपने घरों को लौट रहे थे । संयोग से गांधी सदन के रास्ते में ही अस्पताल पड़ता था । अतः लड़के भी दबे पांव अस्पताल की ओर दृष्टि टिकाये धीरे-धीरे सरकते जा रहे थे । इतने में कुछ क्रुद्ध नौजवान बाहर खड़ी पुलिस की गाड़ी के पास पहुँच गये । वे गाड़ी को आग लगाने का प्रयास कर ही रहे थे कि इतने में पुलिस का ध्यान उनकी ओर चला गया । मिलखासिंह ने आव देखा न ताव गाड़ी की ओर गोली दाग दी । ऊधमी लड़के तो गोली का रुख देखकर गाड़ी की आड़ में छिप गए, पर वह गांधी सदन से लौटते 10 वर्ष के मोहन्द्रि सिंह के सीने में जा लगी। एक करुण आह के साथ मोहिन्द्रसिंह ढेर हो गया । और लड़के भाग गये मोहिन्द्रसिंह वहीं पड़ा रह गया । पुलिस डण्डे लेकर तत्काल मोहिन्द्रसिंह को उठाने दौड़ी। वह उसे उसी प्रकार घसीटते हुए ले जा रही थी, जैसे किसी मरे हुए जानवर को लाया जा रहा हो । दूर से मिलखा सिंह ने देखा कि पुलिस के हाथों में कोई सरदार का बच्चा है । एक बार उसका हृदय थोड़ा कांपा और बन्दूक को कस कर पकड़े हुए उसके हाथ जरा ढीले हो गये । वह आंखें फाड़कर सरदार के बच्चे की लाश देखने लगा । यद्यपि कुछ देर तो उसे पता नहीं चला, पर ज्योंही लाश नजदीक आई उसने देखा सरदार के बच्चे ने वही कपड़े पहन रखे हैं जो उसका बेटा मोहिन्द्र पहना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003159
Book TitleNaye Mandir Naye Pujari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlalmuni
PublisherAkhil Bharatiya Terapanth Yuvak Parishad
Publication Year1981
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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