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________________ १२० / नए मंदिर : नए पुजारी गई । अतः सम्बन्धियों का खून भी खौल उठा । ऊपर से पुलिस जो घोंस दिखा रही थी, उससे रहा-सहा धैर्य भी टूट गया । इसीलिए जव उन्हें हरभजन की लाश सुपुर्द की, तो उन्होंने उसे लेने के इन्कार कर दिया । उन्होंने आग्रह किया कि पहले हम इसका निष्पक्ष मुआयना करायेंगे, फिर इसे उठायेंगे । इसके लिए प्रदेश की राजधानी से सम्पर्क किया गया वहां से किसी मेडिकल बोर्ड के पहुंचने में काफी समय की आवश्यकत। थी । अतः इस इन्तजार में हरभजन का दाह संस्कार भी नहीं हो सका । इधर क्रुद्ध जनता की भीड़ अपना धैर्य खो चुकी थी। पहले तो जनता थाने पर गई, पर पता लगा कि हरभजन को पीटने वाला थानेदार तो कल से ही गायब हो गया है । तब वह अस्पताल की ओर दौड़ी। वहां उसने गलत रिपोर्ट लिखने वाले डाक्टर से बदला लेने की ठानी, पर डाक्टर भी न जाने कहां गायब हो गया। अलबत्ता अस्पताल के पास ही डाक्टर का मकान खाली पड़ा था । जनता ने दिल खोलकर उस पर अपना गुस्सा उतारा, मकान के सारे कांच तोड़ दिये, पर सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटने से क्या फायदा ? अब तो जनता अस्पताल पर आकर जम गई । जिस किसी ने यह सुना, वह दौड़ा-दौड़ा अस्पताल जा पहुँचा । कोई २०-२५ हजार आदमी एकत्र हो गये थे । अस्पताल में पैर रखने तक के लिए भी जगह नहीं थी । सब लोग घटना की वास्तविकता को जानना चाहते थे, पर जैसा कि स्वाभाविक है, भीड़ में असली बात पर विचार होना कठिन है । अतः वहां का वातावरण इतना गर्म हो गया कि जनता बेकाबू हो गई। वह नारे लगाने लगी। खून का बदला खून से लेंगे । 'थानेदार मुर्दाबाद ! 'डाक्टर मुर्दाबाद !' और गन्दी गन्दी गालियों से सारा वातावरण कुलषित हो गया। उसने डाक्टर के ऑफिस में भी देखा, पर वहां डाक्टर कहां से मिलता ? संयोग से वहां एस० डी० आई बैठा हुआ था। कुछ उबले हुए नौजवान इतने बेताब हो गए कि डाक्टर को नहीं पाकर उन्होंने डाक्टर की जगह एस० डी० आई० की ही मरम्मत कर दी । उस बेचारे ने काफी सहनशीलता दिखाई। मार खाकर भी वह जनता से माफी मांगता रहा जनता पर उसका थोड़ा असर भी हुआ । वह एस० डी० आई० की बात सुनना चाहती थी कि इतने में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003159
Book TitleNaye Mandir Naye Pujari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlalmuni
PublisherAkhil Bharatiya Terapanth Yuvak Parishad
Publication Year1981
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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