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गरीबी हटाओ
किशन चमार बेहद गरीब था। उसके पास बहुत थोड़ी सी जमीन थी उसी पर खेती कर वह अपने परिवार का गुजारा किया करता था । एक दिन वह सेठ चन्दूलाल के घर आया । सौभाग्य से सेठ जी घर पर ही मिल गए । उन्होंने बड़ी आत्मीयता से पूछा- 'क्यों किशन ! आज कैसे आ गये हो?
किशन ने हाथ जोड़ते हुए कहा-~-मालिक ! आया तो कुछ काम से ही था।
बहुत अच्छा-सेठजी ने कहा, समय पर तुम लोग मुझे याद कर लेते हो । भगवान् की मेरे पर बड़ी कृपा है । बोलो क्या काम है ?,
किशन ने झिझकते हुए चाँदी के कड़े अपनी फटी हुई अंगरखी की जेब से निकालते हुए कहा --- 'मैंने रामदेव जी बोलमा बोली हुई हैं। कल उनका प्रसाद करना है । अत: कुछ पैसों की आवश्यकता है।'
सेठजी ने बड़ी मधुरता से पूछा- कितने पैसे चाहिए ?'
किशन- 'सौ रुपये की आवश्यकता है। ये कड़े आप रख लीजिए और मुझे रुपए दे दीजिए।' ___ सेठजी- उलाहना देते, हुए किशन ! तू अपना आदमी है, पर लगता है कि तुमने मुझे समझा नहीं । तुम्हारा और मेरा धर कोई अलग-अलग थोड़े ही है ! रामदेव जी महाराज का प्रसाद करना है, तो उसका थोड़ासा पुण्य तो मुझे भी कमाने दो।
किशन-'मालिक, आपके पुण्य की क्या बात कहूँ ? भगवान् की आप पर अटूट कृपा है जो आपको इतना पैसा दे रखा है। आपके मन में
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