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________________ ५१० जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे अष्टाशीतेरित्यर्थः एता अनन्तरपूर्वकथिता विजयाद्या अग्रमहिष्यो वक्तव्याः ‘इमाहिं माहाहि' इमाभिः-वक्ष्यमाण भिर्गाथाभिः, तत्र वक्षमाणामष्टाशीति संख्यकानां नाम दर्शयितुमाह'इंगालए' इत्यादि, 'इंगालए' अङ्गारकः-एतनामकः प्रथमो ग्रहः १, 'वियालए' विकालको द्वितीयः २, 'लोहियंके लोहिताङ्क स्तृतीयः ३, 'सणिच्छेरे चे' शनैश्चरश्चैव शनैश्चर श्चतुर्थ:४ 'आहुणिए' आधुनिकः पञ्चमः '५ 'पाहुणिए' प्राधुनिकः पष्ठः६, 'कामसमाननामाय पंचेव' कनकसमाननामानः पञ्चव, कनकेन सह एकदेशेन सह सपानं-सदृशंनाम येषां ते कनकसमाननामानः ते च पञ्च तद्यथा-कणः ७, कणकः ८, कणकणकः ९., कणवितानकः १०, कणसंतानकः ११, 'सो में' इत्यादि, 'सोमे' सोमः १२, 'सहिए' सहितः १३, 'आसणेय' आश्वासनः १४, 'कजोवए' कार्योपगः १५' 'कव्वुरए' युस्क: १६, 'अयकरए' अजकरकः १७, दुंदुभए' दुन्दुभकः १८, 'संखसमाननामेवि तिष्णेव' शङ्खसमान नामानो नाम्निमहिसीओ वतव्याओ' १७६ ग्रहों को-जंबूदीपवर्ती चन्द्रद्वय के परिवार भूत १७६ ग्रहों की विजयादिक ४ अग्रसहिषियां जो कही गई हैं सो वे १७६ ग्रह, इस प्रकार से हैं-'इंगालए' अङ्गारक यह प्रथमग्रह का नाम है 'वियालए' विकालक यह द्वितीय ग्रह है 'लोहियंके' लोहिताङ्क यह तृतीय ग्रह है 'सणिच्छरे चेव' शनै श्वर यह चतुर्थग्रह है 'आहुणिए' आधुनिक यह पांचवां ग्रह है 'पाहुणिए' प्राधुनिक यह छठा ग्रह है 'कणगसमाननामाय पंचेच' सुवर्ण समान नाम वाले-कण ७-कणक८, कणकणक९ कणवितानक १० और कणसंतानक ये पांच ग्रह हैं इस तरह ऊपर के ६ ग्रह और ये ५ ग्रह मिलकर ११ ग्रहों के नाम प्रगट किये गये हैं 'सोमे १२, सहिए १३, आसणे य १४, कजोधए १५ कन्चुरए १६ सोम यह १२ वांग्रह है, सहित यह १३ वां ग्रह है आश्वासन यह १४ वां ग्रह है कार्योपग यह १५ वां ग्रह है कर्बुरक यह १६ बांग्रह है 'अयकरए' अजकरक यह १७ वां ग्रह है, 'दुदुभए' दुन्दुभक यह १८ वां ग्रह है, 'संख समान नामे वि तिण्णेव' शङ्ख यह ચન્દ્રદયના પરિવાર ભૂત ૧૭૬-ગ્રહોની વિજ્યાદિક ૪ અગ્રમહિષિઓ જે કહેવામાં આવી छ । १७६ अंडा भुराम छे-'इंगालए' २४ मे प्रथम अनुनम छे. 'वियालए' विसे द्वितीय छे. 'लोहियके' सोलित थे तृतीय छे. 'सणिच्छरे चेव' शनैश्वर (शनिय२) २ यतु यह छ. ''आहुणिए' माधुनि४ ये पांयभो 8 छ. 'पाहुणिए' प्राधुनि४ मेछ। ग्रह छे. 'कणगसमाननामाव पंचेव' सुषण समान नाभवाणा-ए-303 -૮-કણકણક ૯, કણવિતાનક ૧૦ અને કણસંતાનક એ પાંચ ગ્રહ છે આ રીતે ઉપરના ६ अ भने ५ भजी ११ अडान नाम ५८ ४२१॥i साव्यछे. 'सोमे १२, सहिए १३, आसणे य १४, कज्जोवए १५ कब्बुरए १६' सोम २॥ सारी अख छ, सहित थे તેરમે ગ્રહ છે, આશ્વાસન એ ચૌદમે ગ્રહ છે, કાર્યો પગ એ પંદરમો ગ્રહ છે, કબ્રક એ सौम छे. 'अयकरए' म०४४२४ मे सत्तरम। अस छ, दुंदुभए' दुन्दुम ये सारमे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003156
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages562
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size17 MB
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