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________________ जम्बूद्वीपप्रतिक्षत्रे येषां ते प्रवृडादिका ऋतयः अथिताः युगप्रारम्भ त्वेकदेशस्य श्रावणमासस्य प्रवर्त्तमानत्वात् 'साषणाइथा मासा' श्रावणादिका मासा युगादौ प्रथमनः श्रावणमासस्यैव प्रवर्तनात्, श्रावण मास आदिः प्रथमो येषां ते श्रावणादिया मासा कषिता इति । 'बहुलाइया पक्ण्णा' बहुलादिकाः पक्षा तत्र बहुलपक्ष:-कृष्णपक्ष आदिर्थे ते बहुलादिकाः पक्षाः, युगपारम्भे श्रावण बहुलपक्षस्थ प्रथमतः प्रवर्तनात् । 'दिवसइया अहोरचा' दिसादिका अहोरात्राः, तत्र दिवस एव आदिः प्रथमो शेषां ते दिवसादिकाः मन्दरपर्वतस्य दक्षिणोत्तरभागयो सूर्योदये एव युगप्रतिपते परन्तु इदं भ तेरावतापेक्षया ज्ञातव्यम् विदेहापेक्षयातु रात्रावेव युगप्रवृत्तेरिति । 'रोदाइया मुहुत्ता' रुद्रादिका मुहूर्ताः, तत्र स्द्रो रुद्रनामको मुहूर्तः त्रिशतो मुहूर्तानां मध्ये प्रथमः स रुद्रोह आदि ते रुद्रादिका शुहूर्ताः प्रातः काले रुद्रमुहूर्तस्यैव प्रवृत्तरिति । 'बालवाइया करणा' वाथ्यादिकानि करणानि कृष्णपक्ष प्रतिपदिवसे बालव रूप प्रावृट् ऋतु होती है सब ऋतुओं में यह ऋतु युगारम्भ में सर्व प्रथम प्रवृत होती है इस में भी इस ऋतुका एक देश जो श्रावणमास है उसकी ही युग के आरम्भ काल में प्रवृत्ति होती है इसी कारण 'सावणाइया माता' ऐसा सूत्रकार ने कहा है सब मासों में से युगारम्भ में श्रावणमास ही होता है 'बहुलोइया पक्खा' युग के आरम्भ में सर्व प्रथम कृष्णपक्ष ही प्रवृत्त होता है अर्थात् जब युग का आरम्भ हुआ तब श्रावणमास का कृष्णपक्ष प्रवृत्तथा 'दिवसाइया अहोरत्ता' रात दिन में युग के आरम्भ में दिन ही सर्व प्रथम प्रवृत्त होता है-अर्थात् मन्दर पर्वत के दक्षिणोत्तर भागों में सूर्योदय होने पर ही युग की प्रतिपत्ति-युग की आरम्भ-होतो है यह जो कथन किया है वह भरतक्षेत्र और ऐरक्त क्षेत्र की अपेक्षा से किया है ऐसा जानना चाहिये क्योंकि विदेह क्षेत्र की अपेक्षा युगप्रवृत्ति रात्रि में ही होती है 'रोद्दाइया मुहुत्ता' ३० मुहतों में सर्व प्रथम मुहूर्त युग की आदि में रुद्र होता है क्योंकि प्रातः काल में रुद्र मुहूत की ही प्रवृत्ति होती है 'बालછે. બધી ત્રાતુઓમાં આ તુ યુગારસ્લામાં સર્વ પ્રથમ પ્રવૃત્ત થાય છે એમાં પણ આ તને એક દેશ જે શ્રાવણ માસ છે તેની જ યુગના આરમ્ભકાળમાં પ્રવૃત્તિ થાય છે આ ४२ ८ 'सावणाइया मासा' से प्रमाणे सूरे ४युं छे. मयां भासोभा युगासमा श्रावण मास डाय छे. 'बहुलाइयापाखा' युना २ममा सर्वप्रथम कृष्णपक्ष ४ प्रवृत्त થાય છે અર્થાત્ જ્યારે યુગને આરમ્ભ થયે ત્યારે શ્રાવણ માસને કૃ ણ પક્ષ પ્રવૃત્ત હતે. 'दिवसाइया अहोरत्ता' त-हवसभा युगना २१२ममा हिवस १ स प्रथम प्रत थाय છે–અર્થાત મન્દરપર્વતના દક્ષિણેત્તર ભાગમાં સૂર્યોદય થવા પર જ યુગની પ્રતિપત્તિયુગને આરમ્ભ–થાય છે. આ જે કથન કર્યું છે તે ભરતક્ષેત્ર અને એરવતક્ષેત્રની અપેક્ષાથી કરવામાં આવેલ છે એમ જાણવું જોઈએ. કારણ કે વિદેહ ક્ષેત્રની અપેક્ષાએ યુગની प्रवृत्ति विभा १ थाय छ 'रोहाइया मुहुत्ता' ३० मुहूत्तमा सर्व प्रथम मुहूत युगनी । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003156
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages562
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size17 MB
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