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प्रकाशिका टीका - पञ्चमवक्षस्कारः सू. ४ इन्द्र कृत्यावसरनिरूपणम्
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जावयाणं विगाणं तारयाणं बुद्धाणं बोयाणं मुत्ताणं मोञगाणं सव्वन्नूणं सव्वदरिसीणं सियमयरुयमतमक्ख रमव्यावाहनपुणरावित्तिसिद्धिगणामधेयं ठाणं संपत्ताणं णमो जिणाणं जियभवाणं' एषामर्थ आवश्यकवादी द्रष्टव्यः । 'पासउ मे भगवं तत्थगए इहगयं' पश्यत तत्रतो भगवान् इहगतम् माम् शक्रम् 'तिकट्टु' इति कृत्वा इत्युक्त्वा एतस्यार्थ आवraat saar: 'वंदइ नमसइ वंदिता नपुंसिता सीहासनवरंसि पुरस्थाभिमुहे सणसणे' सो वन्दते नमस्यति वन्दित्वा नमस्यला सिंहासनारे श्रेष्ठ सिंहासने पौरस्त्याभिमुखः सनिषण्ण उपविष्टवान् 'तए णं दस्स सकस्य देविंदस्स देवरण्णो अयमेयारूवे याणं, जीवदयाणं मोहिदयाणं, धम्मदषाण, धम्मदेलघाणं, धम्ननायगाणं, धम्मसारहीणं, धम्मवरचाउरंतच ककडीणं' अभयदायक हैं चक्षुदयिक हैं, मार्गदायक हैं- शरणदायक हैं जीवदायक संगणरूपजीवित को देनेवाले हैं वोधदायक है, धर्मदायक हैं धर्मदेशक हैं, धर्मदायक हैं धर्मसारथि हैं, धर्मवर चातुरन्त चक्रवर्ती हैं इत्यादि पदों से लेकर 'वोत्थू भगवओ तित्थगरस्स आइगरस्स जाव संपाविकामस्त) यहां तक पदों की व्याख्या आवश्यक सूत्र आदि में की जा चुकी है अतः वहीं से यह देखलेनी चाहिये 'वंदामिणं भगवन्तं तत्थगयं इहगए' यहां रहा हुआ मैं वहां पर विराजमान भगवान को वन्दना एवं नमस्कार करता हूं ' पास मे भगवं तत्थनए इह गयेति' वहां पर विराजमान वे भगवान यहां पर रहे हुए मुझे देखें ऐसा कहकर 'वंदइ मंसई' उसने वन्दना की और नम स्कार किया 'वंदिता णमंसित्ता सीहासणवरंसि पुरस्थाभिमुद्दे सणसणे' वन्दना नमस्कार करके फिर वह आकर अपने सिंहासन पर पूर्वदिशा की और मुंह करके बैठ गया ।
तए तरस सकस देविदास देवरण्णो अपमेयारूये जाव' संकप्पे समुશરણદાયક છે, જીદાયક, સત્યમ રૂપી છાનને આપનારા છે, ખાધ દાયક છે, ધર્મहाय छे, धर्म देश छे, धर्म नाय छे, धर्मसारयि छे, धर्मव२ यातुरन्त यवर्ती छे. वगेरे पोथी भांडीले 'णमात्थूणं भगवओ तिथगरस आइगररस जाव संपाविउकामरस' અહી સુધીના પદેની વ્યાખ્યા આવશ્યક સૂત્ર વગેરેમાં કરવામાં આવી છે. એથી તે त्यांची लेह सेवी लेह से. 'वंदामिण भगवन्तं तत्थगये इहगए' भड़ीं रहे। डु त्यां विरामान लगवान्ने बन्दना ने नमस्कार ४२ ४. 'पास मे भगवं ! तत्थगए इह गयंति' त्यां विराभान आग लगवान् सहीं रहेला भने मुसो आम उडीने 'वंदइ णमंसई' तेथे वन्दना पुरी ने नमस्कार र्या. 'पंदित्ता णमंसिता सीहासरंसि पुरत्या भिमुहे सण સળે' વન્દના અને નમસ્કાર કરીને પછી આવીને તે પાછળના સિંહાસન ઉપર પૂર્વ દિશા
(१) यहां संकल्प के जो 'अज्झथिए चिंतिए, कपिए आदि विशेषण है वे गृहीत हुए हैं इनकी व्याख्या यथा स्थान कई जगह की जा चुकी है ।
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