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जम्बूद्वीपप्राप्तिसूत्रे अच्छा, 'हरिकंता णं महाणई जहिं पवड' हरिकान्ता खलु महानदी यत्र प्रपतति, 'एत्थ णं महं एगे हरिकंतप्पवायकुंडे णामं कुंडे पण्णत्ते' अत्र खलु महदेकं हरिकान्ता प्रपातकुण्डं नाम कुण्डं प्रज्ञप्तम् , 'दोण्णि य चत्ताले जोयणसए आयामविक्खंभेणं सत्त य उणढे जोयणसए परिक्खेवेण' चत्वारिंशे चत्वारिंशदधिके द्वे च योजनशते आयामविष्कम्भेण-दैर्घ्यविस्ताराभ्याम् , एकोनषष्टानि-एकोनषष्टयधिकानि सप्तयोजनशतानि परिक्षेपेण, 'अच्छे एवं कुंडवत्तव्यया सव्वा नेयव्या जाव तोरण।' अच्छम् एवं कुण्डव कव्यता सर्या नेतव्या यावत् तोरणाः, 'तस्स णं हरिकंतप्पवायकुंडस्त बहुमज्झ देसभाए एत्थ मई एगे रिकंतदीवे णाम दीवे पन्नत्ते' तस्य खलु हरिकान्ता प्रपातकुण्डस्य बहुमध्यदेशभागः, अन खलु महान् एको हरिकान्ता द्वीपो नाम द्वीपः प्रज्ञप्तः 'बत्तीसं जोयणाई आयामविक्खंभेणं एगुत्तरं जोयणसयं जैसा आकार होता है वैसा ही इसका आकार है। यह साना रत्नमयी है तथा आकाश और स्फटिक के जैसी निर्मल है । (हरिकंताणं महाणई जहिं पवडइ एत्थ णं महं एगे हरिकतप्पवायकुंडे णामं कुंडे पण्णत्ते) हरिकान्त नामकी यह महानदी जहां पर गिरती है वहां पर एक विशाल हरिकान्त प्रपातकुण्डनामका कुण्ड है (दोणिय चत्ताले जोयणसए आयामविक्ख भेणं सत्तअउणट्टे जोयणसए परिक्खेवेणं अच्छे एवं कुंडवत्तव्वया सव्वा णेया जाव तोरणा) यह कुण्ड आयाम और विष्कम्भ की अपेक्षा दो सो चालीस योजन का है तथा इसका परिक्षेप ७५९ योजनका है । यह कुण्ड आकाश और स्फटिक के जैसा बिलकुल निर्मल है। यहां पर कुण्ड के सम्बन्ध की पूरीवक्तव्यता तोरण के कथन तक की कहलेनी चाहिये (तस्सणं हरिकंतप्पवायकुंडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे हरिकंतदीवे णामं दीवे प.) उस हरिकान्त प्रपातकुण्ड के ठीक बीच में एक विशाल हरिकान्त द्वीप नामक द्वीप कहा गया है। (बत्तीसं जोयणाई જેટલું છે. ખુલ્લા મુખવાળા મગરનો જે આકાર આને છે. એ સર્વાત્મના રત્નમયી छ तेभ 10 मने २५८४पत् सनी निर्मiत छ. 'हरिकंताणं महाणई जहिं पवडइ एत्थणं महं एगे हरिकंतप्पवायकुडे णामं कुंडे पण्णत्ते' हरित नाम महानही यां ५७ छ त्यो मे४ विशाण विन्त प्रपात : नाम छ 'दोणिय चत्ताले जोयणसए आयोमविक्खंभेणं सत्तअउणद्वे जोयणसए परिक्खेवेणं अच्छे एवं कुंडवत्तव्वया सव्वा णेया जाव तोरणा' से मायाम भने मिनी अपेक्षा असे. यासीस योनस તેમજ આનો પરિક્ષેપ ૭૫૯ જન જેટલું છે. એ કુંડ આકાશ અને સ્ફટિકવત્ એકદમ નિર્મળ છે અહીં કુંડ સંબંધી પૂરી વક્તવ્યતા તોરણના કથન સુધીની અધ્યાહુત કરી देवीन. 'तस्स णं हरिकंतप्पवायकुंडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थणं महं एगे हरिकंतदीवे णामं दीवे पण्णत्ते' ते २४ia प्रपात हुन मध्य सभा मे १ २. आन्त दी५ नाम दी५ मावेश छ. 'बत्तीसं जोयणाई आयामविक्खंभेणं एगुत्तरं जोयणसयं
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