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प्रकाशिकाटीकाद्विवक्षस्कारसू. ५४ षष्ठारकस्वरूपनिरूपणम् होयमाणे२ एत्थणं दूसमदममाणामं समा काले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो तीसे णं भंते समाए उत्तमकट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आयार भावपडोयारे भविस्सइ ? गोयमा ! काले भविस्सइ हाहोभूए भंभाभूए कोलोहलभूए समाणुभावेण य खरफरुसधूलिमइला दुव्विसही वाउला भयंकरा य वाया संवट्टगा य वाइंति इह अभिक्रवणं धूमाहिति अ दिसा समंता रउस्सला रेणुकलुसतमपडलणिरालोआ समयलुक्खयाए णं अहिअं चंदा सीअंमोच्छिहिंति अहिअ सूरिआ तविस्संति, अदुत्तरं च णं गोयमा! अभिक्खणं अरसमेहा विरसमेहा खारमेहा खत्तमेहा अग्गिमेहा विज्जुमेहा विसमेहा अजवणिज्जोदगा वाहिरोगवेदणोदीरणपरिणामसलिला अभगुण्णपाणिअगा चंडानिलपहततिक्खधाराणिवातपउरं वासं वसिहिति, जे णं भरहे वासे गामागरणगरखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणानगगयं जणवयं चउप्पयगवेलए खहयरे पक्खिसंधे गामारण्णप्पयारणिरए तसे अ पाणे बहुप्पयारे रुक्खगुच्छगुम्मलयवल्लेिपवालंकुरमादीए तणपणस्सइकाइए ओसहीओ अ विद्धं से हिंति पव्वयगिरि डोंगरुत्थलभट्ठिपादीए अ वेयड्वगिविज्जे विरावेहिंति, सलिलबिलविसमगणिण्णुण्णयाणि अगंगासिंधुवेज्जाइं समीकरेहिति, तोसे णं भंते! समाए भरहस्स पासस्स मूमीए केरिसए आगा रभावपडोआरे भविस्सइ ?, गोयमा! भूमी भविस्सइ इंगा लभूआ मुम्मुरभूआ छारिअभूआ तत्तकवेल्लुअभूआ तत्तसमजाइभूआ धूलिबहुला रेणुबहुला पंकबहुला पणयबहला चलणिबहुला बहणं धरणि गोअराण सत्ताणं दुण्णिक्कमायावि भविस्सइ । तोसेणं भंते ! समाए भरहे वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्तइ ?, गोयमा ! मणुआ भविस्संति दुरूवा दुबणा दुगंधा दुरसा दुकासा अगिट्ठा अकंता अप्पिा असुभा अमणुण्णा अमणामा हीणस्सरा दीणस्सरा अणिट्ठस्सरा अकंतस्सरा अपियस्सरो अमणामस्सरा अमणुण्णस्सरा अणादेज्जवयण. पच्चायाता णिल्लज्जा कूडकवडकलहबंधवेरनिरया मज्जायातिकमप्पहाणा
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