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गङ्गवंश दोनों के बीच घनिष्ठ मित्रता थी। मारसिंह ने अनेक युद्ध कृष्णराज के लिये ही जीते थे। कूडलूर के दानपत्र (मै। प्रा० रि० १९२१ पृ० २६ सन् ६६३ ) में कहा गया है कि स्वयं कृष्णराज ने मारसिंह का राज्याभिषेक किया था। ___मारसिंह के उत्तराधिकारी राचमल्ल (चतुर्थ) थे। इन्हीं के मन्त्री चामुण्डराज ने विन्ध्यगिरि पर चामुण्डरायबस्ती निर्माण कराई और गोम्मटेश्वर की वह विशाल मूर्ति उद्घाटित की (नं० ७५-७६ आदि)। लेख नं० १०६ (२८१) यद्यपि अधूरा है तथापि इसमें चामुण्डराय का कुछ परिचय पाया जाता है। उससे विदित होता है कि चामुण्डराय ब्रह्मक्षत्र कुल के थे और उन्होंने अपने स्वामी के लिये अनेक युद्ध जोते थे। इतना ही नहीं चामुण्डराय एक कवि भी थे। उनका लिखा हुआ च मुण्डराय पुगण नाम का एक कन्नड ग्रन्थ भी पाया जाता है। यह अधिकांश गद्य में है। इसमें चौबीस तीर्थकरों के जीवन का वर्णन है। यह ग्रन्थ उन्होंने शक सं० ६०० में समाप्त किया था। इस ग्रन्थ में भी उनके कुल व गुरु अजितसेन आदि का परिचय पाया जाता है तथा किस प्रकार भिन्न भिन्न युद्ध जीतकर उन्होंन समर धुरन्धर, वीरमात ण्ड, रणरङ्गसिंग, वैरिकुलकालदण्ड, भुजविक्रम, समरपरशुराम की उपाधियाँ प्राप्त की थीं इसका भी वर्णन इस ग्रन्थ में है। वे अपनी सत्यनिष्ठा के कारण सत्ययुधिष्ठिर कहलाते थे। कई लेखों में उनका उल्लेख केवल 'राय' नाम से
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