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श्रवणबेल्गोल के स्मारक रक्खा हुआ है जहाँ पर कि लेख नं० १४४ ( ३८४) है। मंदिर में चतुर्विशति तीर्थ कर, पञ्चपरमेष्ठी, नवदेवता, नन्दीश्वर अदि की धातुनिर्मित मूत्तियाँ भी हैं।
ग्राम की नैऋत दिशा में एक समाधिमण्डप है। इसे शिलाकूट कहते हैं। मण्डप चार फुट लम्बा-चौड़ा और पाँच फुट ऊँचा है। ऊपर शिखर है। इसके चारों ओर दीवालें हैं पर दरवाजा एक भी नहीं है। इस पर के लेख नं ४७६ ( ३८६) से वह बालचन्द्रदेव के तनय की निषद्या सिद्ध होती है जिनकी मृत्यु शक सं ११३६ में हुई। लेख में बालचन्द्रदेव के तनय का नाम घिस गया है, पर उनके गुरु बेलिकुम्ब के नमिचन्द्र पण्डित व निषद्या निर्मापक बैरोज के नाम लख में पढ़े जाते हैं। लेख के अन्तिम भाग में यह भी लिखा है कि एक साध्वी स्त्री कालब्बे ने सल्लेखना विधि से शरीरान्त किया। सम्भवत: यह उक्त मृत पुरुष की विधवा पत्नी रही होगी।
ऐसा ही एक समाधिमण्डप तावरेकरे सरोवर के समीप है। इसके पास जो लेख (नं. १४२ (३६२) है उससे विदित होता है कि यह चारुकीति पण्डित को निषद्या है जिनकी मृत्यु शक सं० १५६५ में हुई।
लेख नं० ४० (६४) में उल्लेख है कि देवकीति पण्डित, जिनकी मृत्यु शक सं० १०८५ में हुई, ने जिननाथ पुर में एक दानशाला निर्माण कराई थी।
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