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श्रवणबेलगोल के स्मारक से चित्रित किये गये हैं। उपर की मजिल में पार्श्वनाथ की मूत्ति है और एक काले पाषाण पर चतुर्विशति तीर्थ कर खचित हैं। ___ कहा जाता है कि चामुण्डराय ने गोम्मटेश्वर की मूति निर्माण कराकर अपने गुरु नेमिचन्द्र को यहाँ का मठाधीश नियुक्त किया। यह भी कहा जाता है कि इससे पहले भो यहाँ गुरु-परम्परा चली आती थी। लेख नं० १०५ (२५४) व १०८ ( २५८ ) में उल्लेख है कि यहाँ के एक गुरु चारुकीति पण्डित ने होटसल नरेश बल्लाल प्रथम ( सन् ११००११०६ ) को एक बड़ो दुस्साध्य व्याधि से मुक्त किया था जिससे उन्हें बल्लालजीवरक्षक की उपाधि मिली थी।।
कल्याणि-यह नगर के बीच के एक छोटे से सरोवर का नाम है। इसके चारों ओर सीढ़ियाँ और दोवाल हैं। दीवाल के दरवाजे शिखरबद्ध हैं। उत्तर की ओर एक सभामण्डप है जिसके एक स्तम्भ पर लेख है (४४४ ( ३६५) कि यह सरोवर चिक्कदेव राजेन्द्र ने बनवाया। मैसूर के चिकदेवराजेन्द्र ने सन् १६७२ से १७०४ तक राज्य किया है। अनन्त कवि-कृत गोम्मटेश्वरचरित ( शक सं०१७००) में उल्लेख है कि चिक्कदेवराज ने अपने टकसाल के अध्यक्ष अण्णय्य की प्रार्थना से 'कल्याणि' निर्माण कराया। पर सरोवर के पूरे होने से प्रथम ही राजा की मृत्यु हो गई, तब अण्णय्य ने उसे चिक्कदेवराज के पौत्र कृष्णराज ओडेयर
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