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श्रवणबेलगोल के स्मारक १० ब्रह्मदेव मन्दिर-यह छोटा सा देवालय विन्ध्यगिरि के नीचे सीढ़ियों के समीप ही है। इसमें सिन्दूर से रंगा हुआ एक पाषाण है जिसे लोग ब्रह्म या 'जारुगुप्पे अप्प' कहते हैं। मन्दिर के पीछे चट्टान पर के लेख नं० १२१ (३२१) से ज्ञात होता है कि इसे हिरिसालि के गिरिगौड के कनिष्ठ भ्राता रङ्गय्य ने सम्भवतः शक सं० १६०० में निर्माण कराया था। मन्दिर के ऊपर दूसरी मंजिल भी है जो पीछे से निर्माण कराई गई विदित होती है। इसमें पार्श्वनाथ की मूत्ति है।
श्रवणबेल्गोल नगर ऊपर कहा जा चुका है कि श्रवणबेलगोल चन्द्रगिरि और विन्ध्यगिरि के बीच बसा हुआ है। यहाँ के प्राचीन स्मारक इस प्रकार हैं:
१ भण्डारि बस्ति-यह श्रवण बेल्गोल का सबसे बड़ा मन्दिर है। इसकी लम्बाई-चौड़ाई २६६ ४७८ फुट है। इसमें एक गर्भगृह, एक सुखनासि, एक मुखमण्डप और प्राकार हैं। गर्भगृह में एक सुन्दर चित्रमय वेदी पर चौबीस तीर्थकरों की तीन २ फुट ऊँची मूर्तियाँ हैं। इसी से इसे चौबीस तीर्थकरबस्ति भी कहते हैं। गर्भगृह में तीन दरवाजे हैं जिनकी आजू-बाजू जालियाँ बनी हुई हैं । सुखनासि में पद्मावती और ब्रह्म की मूर्तियाँ हैं। नवरङ्ग के चार स्तम्भों के बीच
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