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४२४ आसपास के ग्रामों के प्रवशिष्ट लेख
लिगे रम्यस्थानमेम्बन्तिरे सुकृतिसुधामृतिबिम्बोदयेन्द्री
नगवे बन्दावगं रजिसिदुदु वसुधाचक्रदोल जैनगेह ॥२४॥ क ।। प्रा-जिनभवनदोलोप्पुव
__ मूजगपतिशान्तिनाथ तन्नमलपदाम्भोजङ्गलोलदु भव्यस
माज'.. ...लिगे......नुदितोदयम ॥ २५ ॥ इन्तोल्दु मणलकेरेयोल
शान्तीशनिशान्तवेसेये निर्मिसि निखिलाशान्तायतकीर्ति.........
......सातनिप्पनुर्वीवर्ण्य ॥ २६ ॥ व ।। अन्तिई तनिष्टगोत्रमित्रपुत्रकलत्रादिसुखसम्भूतिनिमित्त सातगणनगण्यपुण्यप्रभाव शकवर्षद ११७० नेयप्लवङ्ग संवत्सरद फाल्गुण सु ५ प्रा श्रोशान्तिनाथस्वामिय प्रतिष्ठेय माडिया-जिनपरियर्चनेगमाहारदानक्कमेन्दु बिट्ट भूमि प्रा-नाडुसेनबोव विजयण्ण-सोवण्ण-मदुकण्णर्नु समस्तनाडुगौडगलू मुख्यवागि सोवण्णनु मलस्तकेरेयलि माडिसिद चैत्यालयक्के बिट्ट भूमिय सीमासम्बन्धवेन्तेन्दडे ( यहां सीमा-वर्णन और अन्तिम श्लोक हैं )
[अर्कल्गुद १२] [ इस लेख में प्रथम होयसलवश के बल्लालदेव, नरसिंह और सोमेश्वरदेव का वर्णन है। सोमेश्वरदेव के वर्णन में कहा गया है कि उन्होंने कलिङ्गनरेश का मस्तक विदीर्ण किया, सेवुण' राजा को नष्ट
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