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आसपास के ग्रामों के अवशिष्ट लेख
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किया, मालव- नरेश को जीता, मगर राज्य की नीव खोद डाली, चोल राज्य की प्रतिष्ठा की, पाण्ड्यवंश की रक्षा की, इत्यादि । इनके राज्यकाल में उनके सेनानाथ 'शान्त' ने शान्तिनाथ मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया । शान्त की भार्या का नाम 'भोगव्वे' तथा पुत्रों के नाम 'काम' और 'सात' थे। उनके गुरु की परम्परा इस प्रकार थी:- मूलसंघ, देशीयगण, पुस्तकगच्छ, कोण्डकुन्दान्वय में मावनन्दि व्रती हुए । उनके शिष्य भानुकीति और उनके शिष्य माघनन्दि भट्टारक हुए। इन माघनन्दि भट्टारक के एक गृहस्थ शिष्य सोवरस के पुत्र सातण्ण ने मनलकेरे में शान्तिनाथ मन्दिर का पुनर्निर्माण कराया और उस पर सुवर्ण कलश की स्थापना कराई तथा उक्त तिथि को जिनाचेन व आहारदान के हेतु उक्त भूमि का दान दिया । ]
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सोमवार ग्राम में पुरानी बस्ती के समीप एक पाषाण पर
( शक सं० १००१ )
श्रीमत्परम- गम्भीर - स्याद्वादामोघ लाञ्छनं । जीयास्त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिन-शासनं ॥ १ ॥ श्रीप्रभाचन्द्रसिद्धान्तदेवो जीयाश्चिरं भुवि । विख्यातेाभयसिद्धान्तरत्नाकर इति स्मृतः ॥ २ ॥ अवनीचत्रके पूज्यं निजपदमेनिसित्तैदे सन्मार्ग...
.तोदात्तसैद्धान्तिक नेसेदपनम्मम्म काग्र्गण-प्रोद्भवनु..... घर कुलिशधर ं ..... । .वि... जिनागम...... नीराजहंस ॥ ३ ॥
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