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श्रवणबेल्गोल के स्मारक ६ त्यागद ब्रह्मदेव स्तम्भ-यह चागद कंब ( त्यागस्तम्भ ) भी कहलाता है क्योंकि कहा जाता है कि यहाँ दान दिया जाता था । इस स्तम्भ की कारीगरी प्रशंसनीय है। कहा जाता है कि यह स्तम्भ अधर है, उसके नीचे से रूमाल निकाला जा सकता है। यह भी चामुण्डराय-द्वारा स्थापित कहा जाता है और स्तम्भ पर खुदे हुए लेख नं० १०६ ( २८१) से भी यही बात प्रमाणित होती है। इस लेख में चामुण्डराय के प्रताप का वर्णन है। दुर्भाग्यवश यह लेख हमें पूरा प्राप्त नहीं हो सका। ज्ञात होता है कि हेग्गडे कण्न ने अपना छोटा सा लेख [नं० ११० (२८२)] लिखाने के लिये चामुण्डराय का लेख घिसवा डाला। यदि यह लेख पूरा मिल जाता तो सम्भवतः उससे गोम्मटेश्वर की स्थापनादि का समय भी ज्ञात हो जाता । स्तम्भ की पीठिका की दक्षिण बाजू पर दो मूर्तियाँ खुदी हुई हैं। एक मूत्ति, जिसके दोनों ओर चवरवाही खड़े हुए हैं, चामुण्डराय की और उसके साम्हनेवाली उनके गुरु नेमिचन्द्र की कही जाती हैं।
७चेन्नण्ण बस्ति-यह बस्ति त्यागद ब्रह्मदेव स्तम्भ से पश्चिम की ओर थोड़ी दूर पर है। इसमें चन्द्रनाथ स्वामी की २६ फुट ऊँची मूर्ति है। साम्हने मानस्तम्भ है। लेख ने० ४८० (३६०) से अनुमान होता है कि इसे चेन्नण्ण ने शक सं० १५६६ के लगभग निर्माण कराया था। बरामदे में दो स्तम्भों पर क्रमशः एक पुरुष और एक स्त्री की मूत्ति खुदी हुई
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