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३८० आसपास के ग्रामों के अवशिष्ट लेख
इस टूटे हुए लेख में बोले कुम्ब के महामण्डलाचार्य नेमिचन्द्र पण्डित देव के प्रिय शिष्य व बालचन्द्रदेव के तनय के उक्त तिथि को समाधिमरण का उल्लेख है। उनकी श्मशानभूमि पर यह शिलाकूट बनवाया गया। लेख के अन्तिम भाग में साध्वी कालन्धे के समाधिमरण का उल्लेख है।
जिन्नेनहल्लिग्राम के लेख ४८० ( ३६० ) श्री शकवर्ष १५८६ प्रमादी च संवत्स
। रद वैशाख बहुल ११ यल्लि समुद्रादीश्वर
स्वामियवर नित्यसमाराधने नित्योत्सह कोलतोट मण्टपद सेवेगे पुटसामि सेट्टियर मग चेन्नणनु बिट्ट जिन्नयन हल्लिय ग्राम
मङ्गल महा श्री श्री श्री। [उक्त तिथि को पुट सामि के पुत्र चेन्नण ने समुदादीश्वर ( चन्द्रनाथ ) स्वामी के नित्य पूजनोत्सव के 4 कुण्ड, उपवन और मण्डप की रक्षा के हेतु जिन्ने यन हल्लि ग्राम का दान किया ] ४८१ ( ३-६१ ) श्री चामुण्डरायन बस्तिय सीमे ॥ श्री
हालुमत्तिगट्ट ग्राम के लेख ४८२ ( ३९२) रुस...... विक......वरु...सङ्कण्नगं
कोडगि तोट......दा सिला ससन. करण वि...कन... ........सङ्कपनगवू
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