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आसपास के ग्रामों के अवशिष्ट लेख
४७७ (३८६ )
उसी ग्राम में एक चट्टान पर
... गिरे
...... 44....
.. दव्रतिय...... मुनिराज रिन्दविलु समाधि... मुं नाडुं प्रभु ब्रातमुं ।
नेरेदिन्तेल्लरुमिद्दु कोट्टर मलाम्भोराशियुं मेरु भूधरमुं चन्द्रनुमर्कनुं वसुधेयुं निल्वन्नेगं सल्विनं ॥ १ ॥
माडि...
भरदिन्द
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इन्तु ई-धर्ममं किडिसिदवरु गङ्गय तडियले क्के टिमुनीन्द्रर कविलेयुं ब्राह्मणरुमं कोन्द ब्रह्मत्तियलु होहरु |
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[ इस टूटे हुए लेख में किसी दान का उल्लेख है जिसके विच्छेद से गङ्गा के तीर पर सात करोड़ ऋषियों, कपिला गौधों और ब्राह्मणों की हत्या का पाप होगा ! ]
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४७७ (३८७ ) श्रीमतु सिङ ग्यप नायकर कोमरन निरू[काले गौड की भूमि में] पदिन्द बेक्कन गुरुवप सावपनालगाद प्रभुगलचामुण्डरायन बस्तिगे समर्पिसिद सीमे श्री ।
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[[सिङ्ग्ग्यप नायक की आज्ञा से बेक्कन के गुरुवप सोवप आदि' प्रभुश्रों' ने यह भूमि चामुण्डराय बस्ति को अर्पण की । ]
४७८ (३८८) श्रीविष्णुवर्धन देवर हिरियदण्डनायक गङ्गपय्य स्वामिद्रोह घरट्ट श्रीबेलुगुलद
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